जयपुर। आनन्दपाल का एनकाउंटर हुए 16 दिन बीत चुके हैं और सरकार तथा परिजनों के बीच उनकी मांगों को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। वहीं समाज के बड़े-बड़े नामचीन लोग तथा नेताओं का आनन्दपाल के गांव सांवराद में पहुंचने का सिलसिला जारी है जिससे आनन्पाल के परिवार द्वारा की जा रही मांगों को बल मिल रहा है। अभी तक तो राजपूत समाज ही आनन्दपाल के समर्थन में एकजुट खड़ा दिखाई दे रहा है। मगर अब दूसरे समाजों के लोग भी आनन्दपाल के परिवार के समर्थन में आने लगे हैं। इसी कड़ी में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के महासचिव ने कहा आनन्दपाल प्रकरण से प्रदेश में व्याप्त जातीय विद्वेष के माहौल, जिससे प्रदेश की शान्ति अमन, भाईचारे को खतरा उत्पन्न हो गया है। ऐसे संक्रमण काल में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा दोनों बड़ी जातियों से शान्ति की अपील करती है और प्रदेश सरकार से भी अपील करती है कि संबन्धित पीडि़त पक्ष की उचित मांगों पर वार्ता करके संवेधनशीलता का परिचय देते हुए प्रदेश में अमन चैन को बनाये रखने हेतु इस प्रकरण का तुरन्त पटाक्षेप करें। इसके अलावा सरकार की यह भी चिंता है कि अन्य समाजों का समर्थन मिलने के बाद कहीं यह बड़े आन्दोलन का रूप ना ले ले। क्योंकि सरकार ने इतने दिनों में सिर्फ एक बार वार्ता के लिए बैैठक बुलाई थी। जिसमें भी कोई सहमति नहीं बन पाई थी। हालांकि सरकार की ओर से बैठक में कहा गया था कि आनन्दपाल एनकाउंटर की जांच एसआईटी से कराई जा सकती है, मगर आनन्द के परिवार की ओर से बैठक में गए दल ने इसे मानने से इनकार कर दिया था तब सरकार के नुमाईंदों की तरफ से कहा गया था कि आप आनंदपाल के परिवार से सलाह-मशविरा कर लें उसके बाद फिर से बैठक बुला कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। मगर राजपूत समाज अभी चूप बैठने के मूड में नहीं दिखता है। समाज ने 12 जुलाई को आनन्दपाल के गांव सांवराद में आनन्दपाल के परिवार की मांगों के समर्थन में एक सभा का आयोजन किया है जिसमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में आने के लिए कहा गया है सरकार की चिंता है कि राजपूत समाज के अलावा दूसरे समाजों के लोग भी इस सभा में आएंगे तो सरकार के लिए बहुत बड़ी मुसीबत बन सकती है।

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