लखनऊ। महिला और उसकी पुत्री से कथित दुराचार के मामले में आरोपी और अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले सैशन जज पर गाज गिर गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने जमानत देने वाले जज ओमप्रकाश मिश्र को निलंबित कर दिया है। मिश्र कल 30 अप्रेल को रिटायरमेंट होने वाले हैं। इससे पहले उनका निलंबन हो गया है। जस्टिस मिश्रा के विरुद्ध हाईकोर्ट ने विभागीय जांच के आदेश दिए हैं, साथ ही गायत्री प्रजापति के जमानत आदेश भी रद्द कर दिए हैं। जस्टिस सुधीर अग्रवाल को मिश्रा पर लगे आरोपों की जांच करेंगे। गायत्री प्रजापति को जमानत देने पर यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी, साथ ही इस मामले में जांच की भी गुहार की। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीजेआई डीबी भोंसले ने इसे गंभीर मामला मानते हुए सैशनल जज मिश्र को निलंबित करने के आदेश दिए। सैशन जज मिश्र ने यह कहते हुए गायत्री प्रजापति को जमानत देने के आदेश दिए कि पीडिता की आरोपियों से सहवास में सहमति थी। तीन साल से दुष्कर्म हो रहा था तो शिकायत क्यों नहीं की गई। हाईकोर्ट ने जमानत आदेश को घोर आपत्तिजनक माना है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि कानून के जानकार जज ने जिस तरह से अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए जमानत देने में जल्दबाजी दिखाई गई है, उस पर न्यायाधीश की मंशा पर संदेह है। आदेश भी तब दिए हैं, जब वे 30 अप्रेल को रिटायर होने वाले हैं। गौरतलब है कि गायत्री प्रजापति पर आरोप है कि उसने एक महिला से बलात्कार किया और उसकी नाबालिग पुत्री से रेप करने की कोशिश की। अन्य लोगों पर भी गैंगरेप का आरोप लगाया। हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई और हाल ही मैं गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार किया गया।

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