जयपुर। जयपुर स्थित राजपूत सभा भवन से आज प्रेसवार्ता के दौरान राजपूत सभा अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा और प्रताप फाउंडेशन अध्यक्ष महावीर सिंह सरवड़ी को गिरफ्तार कर लिया गया है। राजपूत सभा भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में गिरफ्तार होने से पूर्व गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि 12 जुलाई को सांवराद में हूंकार रैली का आयोजन किया गया था। मगर सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। इससे दोनों ही समाज उद्वेलित हैं। हालांकि राजपूत समाज और सरकार के बीच कई बार वार्ता हुई मगर कोई सहमति नहीं बन पाई है। भारी जन समूह एकत्रित होने के बाद भी सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी रही। मगर फिर मजबूर होकर सरकार को वार्ता करनी पड़ी। उन्होंने मांग की है कि आन्दोलन के दौरान मारे गए युवक के परिजनों को सरकार एक करोड़ रूपए मुआवजा दे। तथा सरकार से मांग की है कि 12 तारीख को हुई हिंसा की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही उन्होंने अपनी मांगों का भी जिक्र किया जो उन्होंने सरकार के सामने वार्ता के दौरान रखी थी।
1. आनंदपाल फेक एनकाउंटर की सीबीआई जांच करवाई जाए।
2. आनंदपाल की पुत्री का वापस भारत आने दिया जाए। उस पर लगाए सारे मुकदमें वापस लिए जाए।
3. आनंदपाल के भाई मंजित सिंह को अंतरिम जमानत दिलाने में सहयोग किया जाए।
4. आनंदपाल की जब्त प्रापर्टी वापस की जाए। इस सम्बन्धी मुकदमें वापस लिए जाएं।
5. कमाण्डो सोहन सिंह की उचित चिकित्सा व्यवस्था की जाए। उसकी सूरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाए।
6. आन्दोलन के दौरान आन्दोलनकारियों पर लगे मुकदमे वापस लिए जाए।
सरकार ने इस मुद्दे पर जिस तरह से कार्य किया वो सरकार की प्रशासनिक विफलता दर्शाता है। देर शाम शुरू हुई वार्ता पर सरकार और आन्दोलनकारियों में सहमति बन गई थी। तथा लिखित आश्वासन के आदान-प्रदान की प्रक्रिया शुरु हो गई थी। मगर फिर अचानक संदेहास्पद तरीके से हिंसा भड़काई गई। हिंसा के वक्त पुलिस अधिकारियों के बीच वार्ता में मौजूद व्यक्तियों का आरोपित बनाया गया। तथा गिरफ्तार किया गया। सर्व समाज के पदाधिकारी इस साजिश एवं दमककारी नीति का विरोध करते हैं। तथा सहमति हुई मांगों को तुरन्त लागू करने की मांग करते हैं। साथ उत्पन्न हुई परिस्थिति के कारण कई घोषणाएं औैर मांग शामिल की गई है।
1. राजपूत समाज द्वारा मृतकों को तत्कालिक आर्थिक सहायता। मृतक को ५० हजार रुपए एवं घायल को १० रुपए।
2. सरकार और आन्दोलनकारियों के बीच जब सभी बातों पर सहमति बन गई थी तो उसके बात भड़काई गई हिंसा अत्यंत सदेहास्पद है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की जाए।
3. अगर सरकार सहमत हुए बिन्दुओं पर तुरन्त क्रियाशील नहीं होती तो गांव-गांव, ढ़ाणी-ढ़ाणी जाकर सरकार के इस कृत्य को उजागर करेंगे तथा वृहद आन्दोलन करेंगे।
4. भारत के समस्त सामाजिक संगठनों (राजपूत एवं रावणा राजपूतों सहित) को एक जाजम पर लाकर सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आन्दोलन करेंगे।
5. हिरासत में लिए गए सभी व्यक्ति छोड़े जाएं।
6. झूंठे मुकदमें वापस लिए जाए।
अंत में सभा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि सरकार हठधर्मिता छोड़े और मानवाधिकारों हनन बंद करे। तथा लोकतांत्रिक परिपाटी के तहत तुरंत वार्ता कर मांगों का क्रियान्वयन करे अन्यथा आन्दोलन का सामना करने के लिए तैयार रहे। सरकार ने बिना किसी वजह 1500 लोगों को हिरासत में ले रखा है जबकि किसी भी पदाधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। साथ ही समाज ने जयपुर कूच करने की भी चेतावनी दी है और कहा है कि इसमें करीब 10 लाख लोग भाग लेंगे। गुजरात भी जाएंगे और वहां पर भी चर्चा करेंगे।

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