जयपुर। रिश्वत का खेल हमारे सरकारी विभाग में किस तरह से अपनी जड़े जमा चुका है। इसका अंदाजा हर व्यक्ति लगा सकता है सरकारी विभाग में काम करवाना हो तो रिश्वत देना जरुरी है। जैसे यह कोई सरकार द्वारा बनाया गया कोई कानून हो। आम व्यक्ति अपने दस्तावेज कितने भी तैयार कर ले मगर सरकारी कारिंदे उनमें कोई न कोई कमी निकाल कर रिश्वत लेने का तरीका निकाल ही लेते हैं। ऐसा ही एक रिश्वत का मामला अजमेर यूआईटी का है। जिसमें अजमेर में यूआईटी आवाप्तशुदा जमीन के मुआवजे में जमीन के बदले जमीन अलॉटमेंट करवाने के बदले में रिश्वत में दो प्लॉट और 12 लाख रुपए नकद मांगने के मामले में आज आरोपियों की जमानत पर सुनवाई हुई जहां उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। मामला 2012 का है जिसमें परिवादी अजमत खान ने तत्कीलन यूआईटी चयेरमैन नरैन सहानी और मनोज गिडवानी सहित अन्य के खिलाफ जमीन के बदले जमीन अलॉटमेंट करवाने के बदले रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। जिसमें पुलिस ने उस समय मामला दर्ज कर लिया था। जिसमें 23 मई 2017 में एसीबी ने चालान पेश किया। और इन आरोपियों के अरेस्ट वारंट निकाले। आरोपियों पर आरोप था कि उन्होंने अजमत खान से उसके जमीन के बदले जमीन अलॉट करवाने के बदले में उससे दो प्लाट रिश्वत के तौर पर मांगे थे। जिसकी शिकायत 2012 में अजमत ने एसीबी में की थी।

जांच करने पर अजमत खान की शिकायत को सही पाया गया तथा आरोपियों के खिलाफ मुकदमा बनाया गया और 23 मई 2017 को इस मामले में चालान पेश किया गया। इसी सिलसिले में आज इन आरोपियों को कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई गई थी जिसे हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दिया। परिवादी के वकील इंद्रेश शर्मा ने बताया कि परिवादी अजमत खान ने जो आरोप लगाए हैं वह पुलिस की जांच में सही पाए गए। इसी आधार पर चालान कोर्ट में पेश किया गया। और कोर्ट में उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई।

एसीबी कोर्ट से जारी है गिरफ्तारी वारंट
अजमेर स्थित एसीबी कोर्ट ने शाहनी और गिदवानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर रखे हैं। एसीबी ने पूर्व में ही इन दोनों को आरोपी मानते हुए चार्जशीट पेश कर रखी है। अब दोनों आरोपी या तो एसीबी कोर्ट में सरेंडर करेंगे या फिर अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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