Diwali festival from Dhanteras will remain for five days
जयपुर। धन-धान्य और खुशहाली का पर्व दीपावली धनतेरस से आरंभ होता है और पांच दिन तक दीपोत्सव का उल्लास रहता है। इस बार धनतेरस मंगलवार से शुरु होगा। इसके साथ ही पांच दिवसीय दीपोत्सव शुरु हो जाएगा। धनतेरस से घर-प्रतिष्ठान और कार्यालयों में दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दीये जलाए जाते हैं। मां लक्ष्मी, लक्ष्मी पति भगवान विष्णु, प्रथम आराध्यक्ष गणेशजी की विशेष पूजा अर्चना होती है, साथ ही पांचों दिन पडऩे वाले त्यौहार के हिसाब अलग-अलग ईष्ट देवता की पूजा होती है। जैसे धनतेरस को भगवान धनवंतरी की अर्चना होती है। भगवान धनवंतरी को अच्छे स्वास्थ्य और धन संपदा का स्वामी माना जाता है। आयुर्वेद में धनतेरस का विशेष महत्व है। इस दिन आयुर्वेद चिकित्सालयों के अलावा डिस्पेंसरी और सभी अस्पतालों में भगवान धनवंतरी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इनकी पूजा के साथ ही दिवाली पर्व का शुभारंभ माना जाता है।
धनतेरस मां लक्ष्मी को समर्पित पर्व है। धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहा जाता है। इस दिन भक्त मां लक्ष्मी व गणेशजी की फल-फूल, मालाओं से पूजा करते हैं। मिठाईयों का भोग लगाते हैं। जिससे परिवार और समाज में समृद्धि हो और ईश्वर सद्बुद्धि दे। पंडितजनों का कहना है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुन्द्र मंथन के बाद कई अमूल्य वस्तुओं के साथ भगवान धनवंतरी भी प्रकट हुए थे। कहते हैं भगवान धन्वतंरी की पूजा से मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है। इस दिन भगवान यमराज की भी पूजा होती है। कहते हैं, एक सुहागिन ने अपने श्रापग्रस्त पति को भगवान यमराज से बचाने के लिए अपने कमरे के दरवाजे पर सोने-चांदी के ढेर लगा दिए और चारों तरफ दीपक जलाए। पति को जाग्रत रखने के लिए कहानियां सुनाती रही और भगवान का नाम लेती रही। यमराज सांप के भेष में आए, लेकिन दीपक और सोने चांदी की चमक के आगे वे कुछ देख नहीं पाए। जैसे-तैसे अंदर पहुंचे तो सुहागन की कहानियां को सुनकर इतने तल्लीन हो गए कि मृत्यु का समय भी भूल गए। जब उन्हें भान लगा तो वे वापस लौट गए। इस तरह एक सुहागिन अपने पति के जीवन की रक्षा की। इस वजह से धनतेरस पर सोने चांदी की खरीद की जाती है और भगवान यम के नाम दीपक जलाया जाता है। अच्छे स्वास्थ्य और जिंदकी के तौर पर भगवान धनवंतरी और भगवान यम की पूजा की जाती है। इस दिन से ही दीपो का पर्व दीपावली मनाया जाता है।

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