नई दिल्ली। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी गुरुवार को उस समय जाते जाते बच गई। जब पानामा पेपर्स मामले में पाक के सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जांच को लेकर एक संयुक्त जांच समिति बनाने का आदेश दिया। पाक सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने 3-2 से अपना फैसला सुनाते हुए नवाज व उनके दोनों पुत्रों को जांच समिति के समक्ष पेश होने के आदेश दिए। इसमें प्रमुख बात यह रही कि इस बेंच के 2 जज नवाज को अयोग्य ठहराने के पक्ष में थे। इस मामले में नवाज की कुर्सी पर तलवार लटकी थी, जो महज एक वोट कम होने से बच गई। बता दें कि गत वर्ष ही अप्रेल माह में पनामा पेपर्स के मामले को लेकर पाकिस्तान में राजनीतिक भूचाल आ गया था। पनामा पेपर्स में जानकारी मिली थी कि पाक पीएम नवाज शरीफ के पुत्रों के स्वामित्व वाली कुछ कंपनियां जो बाहरी देशों में कारोबार कर रही है, इनका लेन-देन लाखों डॉलर में है। इस मामले में पाक के कई राजनीतिक दलों ने नवाज के खिलाफ याचिका दायर की थी। वैसे जानकारों का इस मामले में आंकलन था कि कोर्ट नवाज शरीफ को बरी कर सकती हैं। इसके पीछे तर्क यह था कि पनामा पेपर्स में उनके नाम का सीधे तौर पर जिक्र नहीं है। चर्चा यह भी रही कि पाक सुप्रीम कोर्ट जांच के लिए एक न्यायिक कमीशन का गठन कर सकता है या पद से अयोग्य भी घोषित कर सकता है। इधर पाक की सत्तारुढ़ पीएमएल-एन पनामा गेट मामले में शीर्ष कोर्ट का फैसला विपरित आने की स्थिति में समय पूर्व चुनाव कराने पर मंथन कर रही है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि कोर्ट का फैसला विपरित आने को लेकर दो तर्क हैं, एक समय पूर्व चुनाव कराए जाएं ताकि पार्टी को वक्त के हालात का फायदा मिल सके, दूसरा यह कि पार्टी का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही चुनाव कराए जाए।

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