नई दिल्ली। देश के सबसे प्रसिद्ध वकीलों में से एक राम जेठमलानी 14 सिंतबर को अपनी उम्र के 94 बसंत पूरे कर लेंगे। वहीं बतौर वकील उन्हें 70 साल से अधिक का समय हो जाएगा। इसी के चलते अब राम जेठमलानी ने वकालात से संन्यास की घोषणा कर दी। अपनी तेजतर्रार वाक पट्टुता और धारदार तर्कों के लिए पहचाने जाने वाले राम जेठमलानी ने चर्चित केसों में वकील रहे।

उनका जन्म 14 सितंबर 1923 को अविभाजित भारत में पाकिस्तान स्थित शिकारपुर में हुआ। राम जेठमलानी के पिता और दादा खुद वकील थे। पढऩे में कुशाग्र राम जेठमलानी ने महज 13 साल की आयु में मैट्रिक पास कर ली थी। वहीं 17 साल की आयु में वकालत पास की। हालांकि उन दिनों नियमों के लिहाज से प्रैक्टिस के लिए न्यूनतम आयु 21 साल थी। लेकिन जेठमलानी की योग्यता को देखते हुए उन्हें आयु सीमा के मामले में छूट दी गई।

-पिता नहीं चाहते थे जेठमलानी वकील बने
जेठमलानी के पिता को यह कतई पसंद नहीं था कि वे वकील बने। इसलिए परिवार की जिद के आगे झुकते हुए मैट्रिक के बाद साइंस ली। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान में हालात बिगड़े तो उनके मित्र ने उन्हें भारत जाने की सलाह दी। जिससे वे भारत आ गए। कुछ दिनों उन्होंने मुम्बई में एक शरणार्थी का जीवन जीया। भारत सरकार ने शरणार्थियों के लिए कॉलोनी बसाई तो एक घर उनके हिस्से में आया। स्थिति कुछ संभली तो वे वकालात के करियर से जुड़ गए। उनका पहला चर्चित केस 1959 में केएम नानावती बनाम महाराष्ट्र सरकार रहा। उनके विपक्ष में प्रसिद्ध वकील यशवंत चंद्रचूड थे। लेकिन जेठमलानी ने नानावती के पक्ष में ऐसी मजबूत दलीलें दी कि वे केस जीत गए। जिससे वे वकालात की दुनिया में स्टार बनकर उभरे। 1960 में हाजी मस्तान के केस में जीत मिली तो वे तस्करों के वकील कहे जाने लगे। बाद में उन्हें इस तरह के केस लडऩे की आदत सी पड़ गई। हालांकि उन्होंने आसाराम का भी केस हाथ में लिया और कोर्ट के समक्ष दलीलें दी। लेकिन वे आसाराम को जमानत नहीं दिला सके।

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