Yamuna-river-water-sharing-case

जयपुर । 23 साल पहले 1994 में हुए यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर किये गये समझौते के अनुसार राजस्थान में पानी लाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई प्रयास नहीं करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश प्रदीप नान्द्गजोग और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने मुख्य सचिव और प्रमुख जल संसाधन सचिव को नोटिस जारी कर अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा अदालत में पेश करने के आदेश दिये है।

इस संबंध में यशवर्द्धन सिंह ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि 1994 में यमुना नदी के पानी के बंटवारे को लेकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हिमाचल के बीच एक समझौता हुआ था। समझौतें के अनुसार राजस्थान को 1.19 क्यूबिक मीटर पानी मिलना था और यह पानी हरियाणा के ताजेवाला हैड से मिलना था। एक साल बाद इस समझौते को अपर रिवर यमुना बोर्ड ने भी अपनी स्वीकृति दे दी। हरियाणा के सिंचाई विभाग ने भी पानी देने पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी।

हरियाणा सरकार ने राजस्थान सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि राजस्थान नई नहर का निर्माण कर अथवा वर्तमान नहर की मरम्मत कर यह पानी ले सकता है। पानी के बंटवारे को लेकर किसी तरह का कोई विवाद नहीं होने के बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से अब तक पानी लाने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। याची ने सरकार को आदेश देने की गुहार लगाई है।

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