जयपुर। विश्व धरोहर सूची में शामिल आमेर महल परिसर में पर्यटकों को सवारी करवाने वाले हाथियों पर उनके मालिक क्रूरता बरत रहे हैं। पैसे कमाने के लालच में आमेर महल में रोटेशन पूरे होने के बाद भी हाथियों को शादी विवाह समारोह में भेजा जाता है। फार्म हाउस, आमेर कस्बे और नटाटा रोड पर पर्यटकों को सवारी करवाई जाती है। उन पर अकुंश के वार किए जाते हैं।

कुछ इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप के एक परिवाद पर कोर्ट ने प्रसंज्ञान लिया है। अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 आमेर जगदीश प्रसाद मीणा ने आमेर थानाधिकारी को आदेश दिए हैं कि वे परिवाद में लगाए आरोपों की जांच करें और उसकी नतीजा रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए। इस संबंध में गौरी मौलिखी ने परिवाद दायर कर कोर्ट को बताया कि आमेर महल में सवारियों को लाने एवं ले जाने वाले हाथियों पर लोहे के अकुंश का वार करके चोटिल किया जाता है। उनके पैरों में लोहे की चैन और लोहे के कडेÞ पहनाकर रखते हैं।

कई मादा हाथियों के कृत्रिम दांत लगाने के लिए दांतों में छेद किए जाते हैं, जिससे उन्हें असहनीय पीड़ा होता है। एनमिल बोर्ड आॅफ इंडिया के सदस्यों की रिपोर्ट के अनुसार 10 हाथियों में टीबी पाई गई है। यही नहीं किसी भी हाथी का एनिमल बोर्ड आॅफ इंडिया से रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। चंपा नामक हाथी के शरीर व पैरों में कई घाव हैं। दूसरे कई हाथियों के भी ऐसे हालात है। हाथियों पर क्रूरता कर रहे दोषियों के खिलाफ पशु कू्ररता निवारण एक्ट और आईपीसी के तहत कार्रवाई की जाए।

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