High court

जयपुर । गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार का राशन कार्ड अवैध रूप से कब्जे में लेने के मामले में पीडि़त पक्ष हाईकोर्ट पहुंचा गया। हाईकोर्ट ने भी मामले में गंभीरता दिखाते हुए प्रमुख खाद्य सचिव, डीएसओ भरतपुर और कलक्टर सहित राशन विक्रेता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। न्यायाधीश मनीष भंडारी की एकलपीठ ने यह आदेश कीमती लाल की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता भरतपुर की कामां तहसील में रहकर गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। उसकी राशन की दुकान करीब नौ किलोमीटर दूर है। राशन डीलर अवैध तरीके से खाद्य पदार्थो का वितरण करता है। इस पर याचिकाकर्ता ने उसकी विभाग में शिकायत दर्ज कराई। इस पर करीब डेढ साल  पहले डीलर ने उसका राशन कार्ड अपने कब्जे में ले लिया। शिकायत पर कार्रवाई के लिए आए खाद्य निरीक्षक को जब याचिकाकर्ता ने घटना के बारे में बताई तो निरीक्षक ने शिकायत वापस लेने के लिए दवाब बनाया। जब याचिकाकर्ता निरीक्षक के दवाब में नहीं आया तो निरीक्षक राशन डीलर से याचिकाककर्ता के राशन कार्ड को अपने साथ ले गया। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने प्रशासन के उच्चाधिकारियों को भी शिकायत दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जिसके चलते उसे पिछले डेढ़ साल से राशन नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा कार्ड के अभाव में वह प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं उठा पा रहा है। ऐसे में उसे राशन कार्ड दिलवाया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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