jaipur.सरकार की ओर से फसलों के हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने कÞ बावजूद खुले बाजार में फसलों की कम कीमत मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांन्द्गजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, प्रमुख कृषि सचिव, कृषि विपणन बोर्ड, नेफेड, राजफेड, भारतीय खाद्य निगम और केन्द्गीय कृषि सचिव को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

इस संबंध में दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज. कृषि उपज मंडी एक्ट कÞ तहत मंडी समिति का दायित्व है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे फसलों का बेचान नहीं होने दें। सरकार साल में कुछ दिनों कÞ लिए ही कैंप लगाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद करती है जबकि सरकारी खरीद को वर्ष भर जारी रखा जाए।

फसल बीमा योजना में कमियों को लेकर जवाब-तलब:-
किसानों की फसल बीमा योजना में अनेक कमियों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्गजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने मुख्य सचिव, प्रमुख कृषि सचिव, प्रमुख आपदा प्रबंधन सचिव, प्रमुख राजस्व सचिव, केन्द्गीय कृषि सचिव सहित बजाज एलाइंज जनरल इंश्योरेंस को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
इस संबंध में रामपाल ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि लोन लेने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनते ही संबंधित किसान की फसल का बीमा हो जाता है। बीमा कंपनी खेत के क्षेत्रफल के आधार पर खाते से अपने आप प्रीमियम काट लेती है। ऐसे में किसान के सहमत नहीं होने पर भी उसे मजबूरी में बीमा कराना पड़ता है। बाद में 5० प्रतिशत से अधिक फसल खराब होने पर ही किसान को क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। एक तरफ जहां प्रीमियम हर खेत के क्षेत्रफल के आधार पर वसूला जाता है, वहीं जब क्षतिपूर्ति देने की बात आती है तो उसके लिए पूरे गांव के खेतों की एक साथ गणना कर खराबा निकाला जाता है।

 

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