जयपुर। अलवर मूक बधिर नाबालिग गैंगरेप मामले पर कांग्रेस सरकार व पुलिस के यू-टर्न पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने जयपुर में प्रेस वार्ता को संबोधित कर निशाना साधा।

डॉ. पूनियां ने कहा कि, एक बहुत ही वीभत्स घटना राजस्थान के अलवर में हुई है, इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अलवर के थानागाजी में भी वारदात हुई थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के कारण कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को कई दिनों तक दबाये रखा था।

अलवर नाबालिग गैंगरेप मामले पर डॉ. पूनियां ने कहा कि, बुधवार को समाचार पत्रों में दो सुर्खियां छपी, जिनमें से एक सुर्खी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी सपरिवार रणथंभोर में अपना जन्मदिन मनाने आईं, अखबार की सुर्खियां थी की गांधी परिवार को रिद्धि-सिद्धि की अठखेलियां भायी, दूसरी तरफ एक खबर छपती है, जिसमें अलवर में नाबालिग मूक बधिर किशोरी के साथ दर्दनाक वारदात, जिससे पूरा प्रदेश कलंकित हुआ, जयपुर में कई घंटे तक बच्ची का ऑपरेशन हुआ, सर्जरी करने वाले डॉक्टर्स कहते हैं कि भगवान ना करे कि हमें जीवन में ऐसी सर्जरी दोबारा करनी पड़े।

पूरे प्रदेश एवं देश के मीडिया में यह खबर सुर्खियां बनती है, कई दिन बाद यू-टर्न लेकर अलवर एसपी प्रेस वार्ता कर कहती हैं कि दुष्कर्म के कोई साक्ष्य नहीं है, इससे पहले की पृष्ठभूमि में सरकार के मंत्री पीड़िता के हाल जानने अस्पताल जाते हैं, बलात्कार के मुआवजे के रूप में परिजनों को 3.50 लाख रुपये मुआवजा देते हैं, एसआइटी गठित की जाती है, एसआईटी की रिपोर्ट आने बिना पुलिस-प्रशासन का यू-टर्न सवाल खड़े करता है।

क्या प्रियंका गांधी को इस जलालत से बचाने के लिये यू-टर्न हुआ, पूरा देश जानता है कि राजस्थान जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में तीन सालों में अपराधों की बाढ आई है, 6 लाख 51 हजार मुकदमे आज तक राजस्थान के इतिहास में दर्ज नहीं हुये, इनमें दुष्कर्म के मामले जो पिछले साल 5310 थे, वो 2021में बढ़कर 6333 दर्ज हुये, 1027 मामलों का बढ़ना और प्रदेश में क्रमिक रूप से हर साल अपराधों में 11 प्रतिशत बढ़ोतरी, यह प्रमाणित करता है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार का इकबाल खत्म हो गया है।

प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस आलाकमान व कांग्रेस सरकार की नजर में राजस्थान की बहन-बेटियों का सम्मान नहीं है? क्या बहन-बेटियों के सम्मान के लिये कांग्रेस की अलग-अलग प्रदेशों के हिसाब से अलग सियासत है ?
क्या अलवर की इस घटना पर यू-टर्न लेने का कारण पंजाब और यूपी के चुनाव हैं? प्रियंका गांधी जिस तरह से एक्ट करती हैं, इस मामले में उनका आचरण बिल्कुल विपरीत था, मुख्यमंत्री अशोक जो गृहमंत्री भी हैं, बात-बात पर ट्वीट भी करते हैं, उनकी चुप्पी क्या इशारा करती है, क्या उनकी नजर में राजस्थान की बहन-बेटियों की दुष्कर्म व गैंगरेप की घटनायें कोई मायने नहीं रखती?

जब और दुर्भाग्यपूर्ण हो जाता है कि स्कूल-कॉलेज की छात्रायें अलवर कलेक्टर से मिलने जाती हैं तो कोई कलेक्टर अपने विवेक से इस तरह बात नहीं कर सकता है कि जब तक उस पर सरकार का दवाब नहीं हो, कलेक्टर उन बच्चियों से पूछता है कि अपने मोबाइल नंबर दीजिये, अपने माता-पिता के नंबर दीजिये, हम उनसे बात करेंगे, क्या बच्ची की अस्मत का मामला उठाना नाजायज है? स्कूल-कॉलेज की बच्चियां हिम्मत करके वहां जाती हैं और उनसे कलेक्टर जो बोलता है वो सरकारी भाषा है, यह बचाव की भाषा है, बच्चियों की हिम्मत की दाद देता हूं कि कलेक्टर से निर्भीक तरीके से बात की।

2017 का मुख्यमंत्री का ट्वीट देखा कि वह बहुत चिंतित हो रहे थे, कि अपराधियों के हौंसले इसलिये बुलंद होते हैं कि उन पर कार्यवाही नहीं होती। बीते 30 दिन की घटनाओं को देखें तो उदयपुर में आदिवासी पीड़ित महिला से रेप की कोशिश, बूंदी में नाबालिग से रेप कर जंगल में फेंका, बांसवाड़ा के घाटोल में मूक-बधिक से रेप हुआ। राजस्थान में ऐसी घटनाओं से साफ है कि राजस्थान सरकार कमजोर,लाचार, बेबस है। सरकार का इकबाल खत्म हो गया।

पिछले तीन सालों में प्रदेश परिवार से ज्यादा मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश है। जनघोषणा पत्र का सुरक्षा का वादा थोथा है। मुख्यमंत्री ने सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग कर पुलिस का दुरुपयोग किया। क्या कांग्रेस पार्टी के पास गृहमंत्री के लिए कोई दूसरा काबिल व्यक्ति नहीं है।

मुख्यमंत्री ने ऐसा क्या अनर्थ कर दिया कि वो गृह मंत्रालय का मोह नहीं छोड़ रहे। कांग्रेस में क्या कोई ऐसा काबिल आदमी नहीं है, जो राजस्थान का गृह विभाग चला सके। फुल टाइम 24 घंटे का गृहमंत्री प्रदेश को चाहिए होता है।
यू-टर्न से लग रहा है कि राजस्थान सरकार व पुलिस पीड़िता को न्याय नहीं दे सकती, मुख्यमंत्री व पुलिस ऐसा मानती है कि दुष्कर्म नहीं हुआ है तो इसलिये सरकार व पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिये किसी भी आशंका को निर्मूल करने के लिये जरूरी हो जाता है कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये, जिससे पूरे मामले की हकीकत सामने आ जाएगी।

प्रदेश भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़िता व उनके परिजनों से मुलाकात की, प्रदेश की कानून व्यवस्था की जानकारी देने हमारा प्रतिनिधिमंडल प्रियंका गांधी से मिलने रणथंभोर गया, लेकिन सरकार के इशारे पर पुलिस ने नहीं मिलने दिया। राजस्थान के मसलों में कांग्रेस आलाकमान के कान, नाक और आंख बंद हैं।
सिलेक्टिव व पॉलिटिकल टूरिज्म छोड़कर प्रियंका को ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ कि अपने इस टाइटल पर तो कायम रहना चाहिये।

अलवर सहित प्रदेश की बहन-बेटियों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर भाजपा पूरे राजस्थान में 17, 18 जनवरी को उपखंड मुख्यालय, पंचायत समिति केन्द्र और पार्टी के मंडल स्तर पर अपना विरोध प्रदर्शन करेगी।

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