जयपुर। इस समय का सबसे रोमांचक तथा साहसी आयोजन ट्रैवल टू माय एलिफेंट यहां एलबर्ट हॉल म्युजियम में पुरस्कार समारोह तथा भव्य समापन के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। 31 अक्टूबर को भव्य उदघाटन समारोह के साथ आरंभ इस दीवानगी पूर्ण समारोह ने पिछले संस्करण की अपेक्षा ज्यादा रोमांच और साहसिक वातावरण निर्मित किया और इसे न केवल प्रतिभागियो की ओर से बल्कि स्थानीय लोगों , राजस्थान सरकार और राज परिवार के सदस्यों से अभूतपूर्व प्रतिसाद मिला। ट्रैवल टू माय एलिफेंट अवार्ड विनिंग पीजी पेपर कंपनी लिमिटेड के मालिक पुनीत गुप्ता और पुनम गुप्ता का मौलिक विचार है । एक बार फिर उन्होने 50 गुजराती तीन पहिया छकडों तथा साइड कार लगी रायल इनफिल्ड के साथ इस रोमांचक रेस का आयोजन कर आश्चर्यकारी पल का निर्माण किया । यह रेस राजस्थान के 800 किलोमीटर में फैले वन स्थलों से गुजरी तथा इसने सर्वाधिक प्रिय जंगली जानवर हाथी को बचाने का संदेश फैलाने में सफलता प्राप्त की। इस वर्ष की रेस ज्यादा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रही क्योकि दिन के समय पडने वाली गरमी ने इसे कठिन बना दिया था। लेकिन दोनो यात्राएं बहुत ज्यादा रोमांचक तथा बहुत अच्छी थी। ग्रामीण क्षेत्रों को निहारना तथा स्थानीय लोगों के साथ घुलना-मिलना प्रतिभागियों के लिए एक अदभूत अनुभव था। इसे स्थानीय लोगों ,राज परिवार से सभी जगह मिला समर्थन तथा प्रतिसाद शानदार था। कई महाराजाओं ने प्रतिभागियो की मेजबानी की खासकर महाराजा पद्मनाभ ने आयोजन के हर पल पर अपना हार्दिक सहयोग प्रदान किया।

राजस्थान सरकार का सहयोग भी प्रशंसनीय था। ट्रैवल टू माय एलिफेंट का उद्येश्य 101 कॉरिडॉर को बचाना तथा इस आयोजन से 1 मिलियन पौंड की राशि एकत्रित करना था। इस रोमांचक आयोजन के समापन पर आयोजको ने अपना रोमांच तथा प्रसन्न्ता प्रकट की क्योकि इस आयोजन ने भारी जागरूकता निर्मित करने के साथ साथ इस उद्येश्य के लिए 10 करोड रूपए से अधिक राशि भी एकत्रित की। इस अवसर पर पूनम गुप्ता ने कहा कि इस साल पुनीत और मंैं खासकर दूसरी मर्तबा ट्रैवल टू माय एलिफेंट में हिस्सा लेने तथा इस अत्यधिक मूल्यवान प्रयोजन के जिल पिछली बार से ज्यादा सहयोग प्राप्त करने के प्रति रोमांचित थे । हमने यहा पाया था कि 2015 की यात्रा सही मायने में शुरू से लेकर आखिर तक विनम्र थी और मैं जानती हूं कि एकत्रित की गई एक एक पाई से हाथियोे के परिवार की मदद करने में बहुत बडा अंतर निर्मित होगा और इससे लाखों लोग प्रभावित होंगे , इसलिए हमारा उद्येश्य पिछली यात्रा से ज्यादा राशि एकत्रित करना था और हमने इस लक्ष्य को पार कर लिया है। उन्होने यह भी कहा कि वास्तव में यह कार्य मेरे दिल के बहुत करीब है। और इसके पीछे बहुत बडा कारण है। एक जिम्मेदार इंसान के नाते हमें अपनी धरती और अन्य जीवो जिनके साथ हम यहा ंरहते हैं उन्हें संरक्षित करने की जरूरत है। प्रकृति के संतुलन के लिए हाथियों का सुख अनिवार्य है और इस रेस का हिस्सा बनकर मैं बहुत प्रसन्न हूं।

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