नई दिल्ली। मोबाइल टावर से कैंसर होने की शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मोबाइल टावर हटाने के लिए संघर्ष कर रहे हरीश चंद तिवारी ने आखिर कानूनी जंग जीत ली है। ग्वालियर निवासी हरीश चंद तिवारी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएनएल को आदेश दिए हैं कि वे सात दिन के भीतर तिवारी के घर के नजदीक मोबाइल टावर को बंद कर दे। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उन हजारों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है, जो मोबाइल टावरों से निकलने वाले रेडिएशन को लेकर देश भर में संघर्ष कर रहे हैं और इसके खिलाफ सरकार व प्रशासन के खिलाफ कोर्ट कचहरी में कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट को इस तथ्य के लिए सहमत कराया है कि उसके घर के नजदीक मोबाइल टावर के जरिए ही उसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से कैंसर हुआ। वैसे भी मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन किरणों से कैंसर फैलता है, साथ ही इससे पशु-पक्षियों पर भी विपरीत असर देखने को मिले हैं। चिडिय़ा, तोते, कौअें, कबूतर जैसे छोटे पक्षी रेडिएशन के चलते असमय ही खत्म हो रहे हैं। गौरतलब है कि हरीश चंद तिवारी ने अपने पड़ौसी प्रकाश शर्मा के घर पर लगे मोबाइल टावर को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसमें बताया कि वर्ष 2002 से प्रकाश शर्मा के घर पर बीएसएनएन का मोबाइल टावर लगा रखा है। इससे निकलने वाली हानिकारक रेडिएशनों के चलते हुए कैंसर की शिकायतें हुई है। रेडिएशन के संपर्क में आने से वह हॉजकिन्स लिम्फोमा कैंसर का शिकार हो गया। हालांकि दूरसंचान कंपनियों और भारत सरकार का जवाब था कि अभी तक ऐसी कोई वैज्ञानिक रिसर्च सामने नहीं आई है, जिससे यह साबित हुआ हो कि मोबाइल टावर रेडिएशन से कैंसर व दूसरी बीमारियां फैल रही है। सुनवाई के बाद जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने बीएसएनएल को सात दिन में मोबाइल टावर बंद करने के आदेश दिए हैं।
-जनप्रहरी की ताजातरीन खबरों के लिए यहां लाइक करें।

LEAVE A REPLY