जयपुर. रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान ने हाल ही में केन्द्रीय सरकार द्वारा घोषित मातृत्व लाभ योजना में असमानता व हक को सीमित करनेके विरोध में प्रतिरोध बैठक जयपुर में रखी। बैठक में आये 10 जिलों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को ज्ञापन दे उनसे अपील की वेतुरंत प्रभाव से केंद्र सरकार को लिखकर सभी महिलाओं को समानजनकमातृत्व हक दिलवाये। अभियान के वरिष्ठ सदस्य डाॅ. अशोक  खण्डेलवाल ने कहा कि 2013 केखाद्य सुरक्षा कानून में दिया गया मातृत्व लाभ का कानूनी हक जिसकी मूल मंशा है कि हर औरत को हर प्रसव के लिए लाभ मिले के विपरीत नरेन्द्र मोदी सरकार ने 17 मई 2017 को शर्तों के साथ एक योजना जारी की, जिसमें सिर्फ पहले जिन्दा प्रसव पर ही गर्भवती महिला को कुल मात्र6000 हजार रुपये मिलेंगे। जिसमे पांच हजार रुपये तीन किश्तों में-एकहजार की पहली और दो-दो हजार की दो -दिए जायेंगे और एक हजार रुपये संथागत प्रसव पर राशि दी जायेगी। केवल पहले प्रसव पर माँ कोलाभ देना व संस्थागत प्रसव, जननी सुरक्षा योजना में दिये जा रहे 1400रूपये का विलय इस योजना में कर देना कही से भी न्यायसमत नहीं है।खुद सरकार बच्चों के बीच में भेदभाव कर रही है, व यह संदेश दे रही हैकि केवल पहले बच्चे तक ही सरकार की जिम्मेदारी है। राजस्थान राज्य के लिए इस योजना के खतरनाक प्रभाव के बारे में जनस्वास्थ्य अभियान की छाया ने बताया कि राजस्थान राज्य में हर वर्षकुल लगभग 13.5 लाख प्रसव होते हैं, अब इस सशर्त मातृत्व लाभयोजना के निर्णय से राजस्थान राज्य की केवल लगभग 5.12 लाखमहिलायें लाभ की पात्र होंगी. इस प्रकार केवल 32 प्रतिशत महिलायें हीइसका लाभ ले पाएंगी। जिससे अधिकाँश महिलाओं मातृत्व लाभ वंचितरहेगी।  जनजाति और अनुसूचित जाती में क्रमशः 28 और 30 प्रतिशतथा. अतः मात्र एक चोथाई से कम महिलाएं योजना का लाभ उठा पाएंगीऔर जनजाति और अनुसूचित जाती की महिलाओं को विशेष नुकासान होगा। रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान के सह-संयोजक श्याम लाल नेकहा कि जिस प्रदेश में बेटी की लालसा है, इस तरह की योजना काविपरित असर लड़कियों के जन्म पर होगा और घटते लिंग अनुपात परऔर विपरीत असर पड़ेगा। बाल लिंग अनुपात अभी 888 है जिसकेे औरभी घटने की संभावना बढ जाती है। रोजी-रोटी अधिकार अभियान राजस्थान के सह-संयोजक रवि चतुर्वेदी ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में अभि भी ग्रामीण इलाको में 18प्रतिशत औरते संस्थागत प्रसव नहीं करवा रही है तो उन्हें इस हक सेवंचित रखा जायेगा। उनका यह भी कहना था कि एन. एफ.एच.एस. 4 केअनुसार राजस्थान मे बाल मृत्यु दर 51 है। इस प्रकार 5 प्रतिशत पहलेप्रसव के बच्चे जीवन खो देते है। ऐसी महिलाओं को अगले प्रसव के लिएयह योजना लाभ से वंचित कर देती है। बैठक में रोजी रोटी अधिकार अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका कविताश्रीवास्तव ने कहा कि हम मांग करते है की राजस्थान सरकार इस केंदीय योजना को वापस करे. बैठक में तय किया गया कि इस सीमित योजना के विरोध में हर जिले मेंप्रतिरोध होगा और मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को मांगे भेजी जायेंगी। साथही गांव स्तर पर अभियान चला कर जुलाई माह में राज्य सम्मेलन किया जायेगा। बैठक में वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. मालती गुप्ता, पी.यू.सी.एल. की वरिष्ठकार्यकर्ता विजय लक्ष्मी जोशी , भारत ज्ञान विज्ञान समिति की कोमलश्रीवास्तव, बजट अध्ययन केन्द्र की बर्खा, एकल नारी शक्ति संगठन सेशांती देवी, डूंगरपुर कालू लाल, पी.यू.सी.एल. के कैलाश मीणा, सूचना वरोजगार अभियान के मुकेश  गोस्वामी, कमल टांक, जन चेतना संस्थानसिरोही से आई कैलाश  देवी, दलित विचारक नवीन नारायण,एन.एफ.आई.डब्ल्यू. की राजकुमारी डोगरा, नागरिक मंच से बंसतहरियाणा, राजस्थान समग्र सेवा संघ के सवाई सिंह, अजमेर महिलासमूह की आशा मनवानी, महिला व बाल विकास सीमिती कीआशा  कालरा, एस.आर.के.पी.एस. झूझुनू के अरविन्द आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।

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