जयपुर। छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने प्रदेश में नजूल सम्पत्तियों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इन पर अविलम्ब ध्यान देने की मांग की है। उन्हानें कहा कि राज्य में अरबों रुपयों की कीमती नजूल संपत्ति बेकार पड़ी हुई है। नजूल संपत्ति की न तो कोई देखरेख करने वाला है और न ही सरकार द्वारा कोई ध्यान दिया जा रहा है।

सिंघवी ने कहा कि ज्यादातर नजूल संपत्ति देखरेख के अभाव में  खण्डर बन गई है। शहरों और कस्बों के बीच में होने की वजह से लोग गंदगी का ढ़ेर लगाते है, जिससे शहर बदरंग हो रहे है। कहीं—कहीं तो स्मैक पीने वाले और गलत काम करने के अड्डे बने हुए है। नजूल संपत्ति पर कई लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे है, कई जगह पक्के मकान और पक्के रास्ते बना लिए है। इन संपत्तियों को लोगों ने डंपिंग यार्ड बना रखा है, जिससे मानव के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और शहरों डंपिंग यार्ड के पास आवारा जानवर घूमते रहते है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में अजमेर का सरवर किला, जैसलमेर में फतेहगढ़ फोर्ट सहित चार संपत्तियां, भीलवाड़ा में बारेठगढ़ सहित पांच, अलवर में बाला किला सहित तीन, बारां में शाहबाद किला सहित दो, झुंझुनूं के सुखमहल सहित 5 प्रॉपर्टी हैं। वहीं सीकर, भरतपुर, जयपुर के रामगढ़ किला सहित दौसा के विराटनगर की तीन प्रॉपर्टी शामिल हैं। इसके अलावा कई शहरों, कस्बों, गावों में पुराने सरकारी कार्यालय, अदालत भवन, अधिकारी—कर्मचारियों के निवास, पुराने थाने, पटवार भवन, तहसील कार्यालय, स्कूल, पंचायत भवन इत्यादी कई प्रकार की नजूल संपत्ति बेकार पड़ी है। सरकार का नजूल संपत्तियों की ओर कतई ध्यान नहीं है।

विधायक ने कहा कि प्रदेश में बेकार पडी नजूल संपत्तियों में से जो लीज पर दी जा सके अथवा किराए पर दी जा सके उन संपत्तियों पर सरकार को तत्काल ध्यान देना चाहिए और जो बेकार पडी हुई है या जो काम में नहीं आ सकती है उन्हें बाजार में खुली बोली लगाकर बेचने की कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि सरकार के खजाने में पैसा आए और राज्य की आधारभूत सुविधाओं के काम में आ सके। नजूल संपत्ति से होने वाली आय प्रदेश के विकास कार्य में  काम आ सकें।

 

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