भागसिंह

जयपुर। राजस्थान के जयपुर जिले के बस्सी क्षेत्र में एक बड़ा राशन घोटाला सामने आया है। जहां मामले का खुलासा होने के उपरांत खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग (रसद) की कार्यवाही महज प्राथमिकी दर्ज कराने तक ही सीमित रही। जबकि घोटाले के अहम किरदार निभाने वाले विभाग के जिला रसद अधिकारी, प्रवत्र्तन निरीक्षक, राशन डीलर को सामग्री देने वाली सहकारी समिति के मैनेजर, स्थानीय सरपंच सहित राशन डीलर के खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई। मामले में लिप्त आरोपी विगत 7 वर्षों से इस घोटाले को अंजाम देते आ रहे हैं।

मजेदार बात तो यह है कि राशन डीलर की मौत होने के उपरांत भी प्रवत्र्तन निरीक्षक की मिलीभगत से मृतक के फर्जी हस्ताक्षरों से यह खेल चलता रहा। मामला जब विधानसभा में उछला तो सरकार सकते में आ गई और जांच बैठा दी गई। संभावना है कि यदि मामले की गहनता से जांच की गई तो यह घोटाला लाखों-करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है।

-आरटीआई देने में भी करते रहे आनाकानी, डीएसओ ने टरकराया
ग्राम पंचायत पड़ासौली में गरीबों के हक पर डाका मारने को लेकर जारी इस खेल का भंडाफोड़ करने के लिए स्थानीय निवासी फूलाराम मीणा व श्रवण लाल शर्मा ने सूचना के अधिकार का दामन थामा। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में अर्जी लगाने के साथ ही पंचायत में खलबली मची तो विभाग ने सूचना में टालमटोल किया। विभाग ने 2500 पृष्ठों का हवाला देकर 5 हजार रुपए जमा कराने के बाद भी पोल खुलती देख विभाग सूचना देने में आनाकानी ही करता रहा। अपील करने के उपरांत भी सूचना नहीं मिली और जवाब दिया कि उक्त पत्रावलियां गायब है। बाद में जैसे-तैसे विभाग से दस्तावेज मिले तो घोटाले का भंडाफोड़ हो गया।

-बिना आवेदन कर दिया स्थानांतरण
आरटीआई से मिले दस्तावेजों से सामने आया कि ग्राम पंचायत पड़ासौली में उचित मूल्य की दुकान राधेश्याम पुत्र जौहरीलाल शर्मा के नाम से अलॉट हुई। 30 मई 2010 में राधेश्याम शर्मा की मौत हो गई। इसके बाद से ही राशन सामग्री के गबन का खेल शुरू हो गया। मृतक की पत्नी ने रामप्यारी देवी (73) ने अनुकंपा के आधार पर अनुज्ञा पत्र (लाइसेंस) के लिए आवेदन ही नहीं किया। इसके उपरांत भी जिला कलक्टर के नाम से रसद विभाग ने एक बिना तारीख का अनुकंपा अनुज्ञापत्र जारी कर दिया। यह अनुज्ञा पत्र आखिर जारी कैसे हुआ। इसके लिए खुद विभाग असमंजस्य की स्थिति में है। जबकि रामप्यारी खुद असाक्षर महिला है। इस तरह अंत्योदय व खादय सुरक्षा योजना में मिलने वाले गेंहू, केरोसीन व चीनी का गबन पिछले 7 सालों से जारी रहा।

-चहेतों को बांटी सामग्री, गरीबों को टरकाया
खुलासे से सामने आया कि पड़ासौली में राशन की दुकान खुद रामप्यारी के द्वारा संचालित न कर एक रसूखदार व स्थानीय सरपंच रेखा देवी मीणा के जेठ सुनील कुमार मीणा के द्वारा संचालित करना सामने आया। जबकि विभागीय नियमों के अनुसार राशन की दुकान को सबलेट नहीं किया जा सकता। इस कारगुजारी में मुख्य किरदार सुनील कुमार मीणा ने ही निभाया। जहां डीएसओ, सहकारी समिति के मैनेजर व प्रवत्र्तन निरीक्षक के साथ मिलकर राशन दुकान पर आने वाले 90 फीसदी सामग्री में सेंध मार दी। मीणा चहेतों को पूरी सामग्री देता तो जबकि बीपीएल, अंत्योदय व खादय सुरक्षा के दायरे में आने वाले लोगों को कम मात्रा में गेंहू, चीनी व केरोसीन की सप्लाई देता। जबकि उनके मोबाइल पर मैसेज अधिक मात्रा का आता। लेकिन रसूखदार के आगे मुंह नहीं खोलने से गांव वाले कतराते ही रहे।

-विधानसभा में मामला गूंजा तो मच गई खलबली
इधर खाद्यय एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में एक बड़े घोटाले की पोल जब आरटीआई से खुली तो उसकी गंूज विधानसभा में भी सुनाई दी। स्थानीय विधायक अंजू खंगवाल ने विधानसभा में इस मामले को पूरे तथ्यों के साथ उठाया तो सरकार ने मामले की गंभीरता को भांपकर जांच बैठा दी। जहां जिला कलक्टर ने एक टीम का गठन कर मामले की जांच कराई और लाखों रुपए की राशन सामग्री के गबन का पर्दाफाश किया।

इस प्रकरण में रसद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत सहित अन्य को लेकर खुलासे किए जाने हैं, ऐसे में खबरों के लिए जनप्रहरी एक्सप्रेस से जुड़े रहे।

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