jee jayapur litarechar phestival

– हिन्दी एवं अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं के 80 से अधिक लेखक ‘जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल‘ के विभिन्न सत्रों में होंगे शामिल

जयपुर। वर्ष के बहुप्रत्याशित आयोजनों में से एक होने के नाते ‘जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल‘ नववर्ष की शुरूआत हमेषा भारत और दुनियाभर की विविधता एवं बुद्धिमता के साथ करता है। एक दशक से अधिक समय से यह ’साहित्य का कुंभ मेला’ अब तक करीब 2,000 वक्ताओं की मेजबानी की जा चुका है और दस लाख से अधिक पुस्तक प्रेमियों का स्वागत कर चुका है। इस प्रकार यह आयोजन एक वैष्विक साहित्यिक आयोजन के रूप में विकसित हो रहा है।25 से 29 जनवरी तक आयोजित होने वाले इस ‘दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक शो’ में हिन्दी भाषा का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 से अधिक लेखक तथा 15 अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं के 50 से अधिक वक्ता शामिल होंगे।

अपने आयोजन स्थल पर जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल राजस्थान भर के महान विद्वानों व प्रतिभाओं को एक मंच पर लाता है और इसमें भारत के सबसे बड़े राज्यों में से एक राजस्थान की कला, इतिहास, विरासत, संस्कृति एवं परिदृश्य को कवर करने वाले विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाती है। जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2018 में बुलाकी शर्मा, राजेंद्र बोड़ा, विमलेश शर्मा जैसे प्रख्यात लेखकों के अतिरिक्त कुछ अन्य लेखक भी शामिल हो रहे हैं,

जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न है -1. अभिमन्यु सिंह आढ़ा एक पर्यावरणीय इतिहासकार है, जो सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली; महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी, बीकानेर और राजस्थान यूनिवर्सिटी जयपुर में पढ़ा चुके हैं। उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और जवाहरलाल नेहरू विष्वविद्यालय से पीएचडी की है। ईकोलाॅजी, ट्रेड और स्टेट बिल्डिंग के मध्य सम्बंधों का अध्ययन करना और कूटनीति के इतिहास एवं आत्म लेखन उनके रिसर्च के विषयों में शामिल हैं। उनके कई रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। आढ़ा अपनी मातृभाषा राजस्थानी में गद्य एवं पद्य दोनों शैली में लिखते हैं।
2. अरविंद सिंह असिया राजस्थानी व हिंदी भाषा के कथा लेखक हैं। उनके प्रथम लघु कहानी संग्रह ‘कथा‘ के लिए उन्हें राज्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके बाद इन्होंने ‘कथा 2‘ भी लिखा। वे राजस्थानी काव्य संग्रह ‘काकीदो‘, उपन्यास ‘कचनार‘ व ‘अंतिम योद्धा‘ के लेखक भी हैं।
3. देवयानी भारद्वाज कवि, शिक्षाविद् व पत्रकार हैं। भारद्वाज अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, जयपुर के साथ लैंग्वेज रिसोर्स पर्सन के रूप में जुड़े हुए हैं। वे काव्य संग्रह ‘इच्छा नदी के पुल पर‘ की लेखिका हैं। इन्होंने बेदाद-ए-इश्क, रुदाद-ए-शादिया संकलन में भी योगदान दिया है। इनकी कविताएं, लेख और अनुवाद कई समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और ब्लॉग्स में प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्हें राजस्थान पत्रिका कविता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
4. ईरा टाक लेखिका, फिल्म निर्माता व चित्रकार है। वे कविताओं की पुस्तक ‘अनछुआ ख्वाब, मेरे प्रिय‘, लघु कथा संग्रह ‘रात पहेली‘ और उपन्यास ‘रिस्क एट इष्क‘ की लेखिका हैं। उनका दूसरा उपन्यास ‘मूर्ति‘ लघु कथा संग्रह के साथ जल्द आने वाला है। वे इन दिनों रोमांटिक सस्पेंस थ्रिलर ‘अमोरा‘ पर कार्य कर रही हैं, जो उनका तीसरा उपन्यास होगा। ईरा टाक फिल्म निर्माता भी हैं। उनके कार्यों में बच्चों द्वारा पंसद की जाने वाली ‘फ्लर्टिंग मेनिया‘ और ‘डब्ल्यू टर्न‘ शामिल हैं। वे एक बहुमुखी कलाकार भी हैं और वे आठ एकल व समूह कला प्रदर्शनियों में भाग ले चुकी हैं।
5. फाल्गुनी बंसल टीवी एंकर, पत्रकार, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट और फिल्म निर्माता हैं। वे फ्रीलांसर के रूप में दूरदर्शन, बीबीसी, दैनिक भास्कर, टाइम्स नेटवर्क, राजस्थान पत्रिका, पत्रिका टीवी और इंडिया टुडे के साथ जुड़ी हुई हैं। उन्होंने बाघ ‘उस्ताद‘ पर एक सोष्यल मीडिया कैम्पेन शुरू कर इसे एक अंतरराष्ट्रीय विषय बनाया और अपने इसे अनुभव के साथ संयोजित कर सोष्यल मीडिया की ताकत को साबित किया है। उनके डिजिटल वाइल्ड लाइफ बुलेटिन पर 7000 से अधिक फाॅलोअर हैं।
6. फारूक इंजीनियर लेखक और कवि है। उनकी लिखी पुस्तकों में ‘सहरा में गुम नदी‘ शामिल हैं, जिसके लिए उन्हें उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा इन्होंने माहे-नाउ और पेड लागा पुस्तकें भी लिखी हैं। वर्ष 1997 में ’आधुनिक उर्दू काव्य में बहुमूल्य योगदान’ के लिए उन्हें राजस्थान उर्दू अकादमी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उनकी रचनाएं कई प्रसिद्ध उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। फारूक इंजीनियर कई अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय सेमिनारों तथा मुशायरों में भी शामिल हो चुके हैं। उनकी कुछ कृतियां आगामी दिनों में प्रकाषित होंगी, जिनमें काव्य संग्रह ‘कितने सूरज‘ भी शामिल है।
7. इकराम राजस्थानी प्रसिद्ध लेखक एवं कवि हैं जो हिंदी, राजस्थानी और उर्दू भाषाओं में लेखन कार्य करते हैं। उन्होंने कुछ हिंदी व राजस्थानी फिल्मों के गीत भी लिखे हैं। उन्होंने कुरान, हजरत शेख सदी की ‘गुलिस्तान‘, रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजली‘ और हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला‘ का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया है। उनकी हिन्दी व राजस्थानी भाषा की नवीनतम कविताएं अंतरराष्ट्रीय संकलन – ‘अमरावती पोयटिक प्रिज्म 2017‘ में प्रकाशित की गई हैं। इन्हें भारत के संस्कृति मंत्रालय की ओर से सीनियर सूफी फैलोशिप का सम्मान प्रदान किया जा चुका है।

8. माया मृग का जन्म पंजाब में हुआ था। वर्ष 1995 से उन्होंने बोधि प्रकाशन में काम किया। उन्होंने वड्र्स, देट लाइफ विल नाॅट स्टाॅप, फ्रोजन ग्रीनपीस, डायरी ऑफ ए साइलेंट मैन तथा कट रे मन कट लिखी हैं। इन्होंने प्रकाषन के नवीन प्रयोग करने शुरू किए, जिसमें फेसबुक पर 127 कवियों द्वारा महिलाओं पर केंद्रित कविताएं लिखकर प्रकाशित करना शामिल है। वर्ष 2015 में इन कविताओं का संकलन ‘शतदल‘ के रूप में प्रकाशित किया गया था।
9. मृदुला बिहारी पुरस्कार विजेता लेखक, उपन्यासकार व नाटककार हैं। उन्होंने कई लघु कथा संग्रह, उपन्यास और नाटकों सहित कुल 15 पुस्तकें लिखी हैं। उन्होंने रेडियो, टीवी व थिएटर के लिए कई नाटक भी लिखे हैं। उनकी रचनाओं का अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने भारत में और विदेशों के कई साहित्यिक मंचों पर बड़े पैमाने पर महिलाओं के मुद्दों व उसके कार्यों पर अपने विचार रखे हैं। वे 2010 बीजिंग इंटरनेषनल बुक फेयर में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। शिकागो के कलाकारों एवं लेखकों की रचनाओं का मृदुला बिहारी के नेतृत्व में हिन्दी भाषा में अनुवाद किया जा चुका है। वे जयपुर, शिकागो और सैन फ्रांसिस्को में रहकर अपना कार्य करती हैं।
10. नंद भारद्वाज हिन्दी व राजस्थानी के प्रसिद्ध लेखक तथा मीडिया से जुड़ी शख्सियत हैं। उनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गई है, जिनमें कविता, उपन्यास, साहित्यिक समीक्षा और समकालीन मीडिया पर लिखे गए लेखों का संग्रह शामिल है। उनकी राजस्थानी रचना ‘सांम्ही खुलतौ मारग‘ के लिए वर्ष 2005 में भारद्वाज को साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने आधुनिक राजस्थानी उपन्यास और कविता पर आधारित दो संकलनों का संपादन किया है। उन्हें के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। भारतीय साहित्य की उत्कृष्ट श्रृंखला तैयार करने में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें दूरदर्शन द्वारा सम्मानित किया गया है। मीडिया प्रोफेषनल के तौर पर उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन के साथ काम किया है। वे दूरदर्शन केंद्र, जयपुर से वरिष्ठ निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
11. राघवेंद्र रावत लेखक व कवि हैं। उनकी रचनाएं कई साहित्यिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके दो काव्य संग्रह ‘अंजुरी भर रेत‘ और ‘एक चिट्ठी की आस में‘ भी प्रकाषित हो चुके हैं। ‘अंजुरी भर रेत‘ के लिए वर्ष 2010 में राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें सुमनेष जोशी प्रथम कृति अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
12. रीना मनेरिया हिंदी व राजस्थानी भाषाओं की लेखिका हैं। उनकी राजस्थानी रचनाओं में घी रो दिवलो, तकदीर रा आंक और पोटिवाड़ शामिल हैं। ‘उधार के कौर एवं अन्य कहानियां‘, ‘लगाव का रिष्ता एवं अन्य कहानियां‘, ‘कहानी भीतर कहानी‘ उनकी प्रमुख हिन्दी पुस्तकें हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा उन्हें 2013 में प्रेम युवा लेखन पुरस्कार से और 2013 में मरुधर मृदुल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
13. रीमा हूजा पुरातत्वविद्, इतिहासकार और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर हैं। वे जयपुर विरासत फाउंडेशन की ट्रस्टी, एनवाईएसआईसीसीएसआई की फैकल्टी डायरेक्टर, सेंट लॉरेंस यूनिवर्सिटी में फैकल्टी, नेषनल माॅन्यूमेंट आॅथेरिटी की पूर्व सदस्य और एमएसआईडी, यूएसए की पूर्व निदेशक हैं। वे एनिमल केयर ट्रस्ट चलाती हैं और उनके पास 100 बिल्लियां हैं। आहार कल्चर, प्रिंस, पैट्रियट, पार्लियामेंट और हिस्ट्री आॅफ राजस्थान इनके द्वारा लिखित प्रमुख पुस्तकें हैं।
14. सम्पत सरल हिंदी व्यंग्यकार है। वर्तमान में शरद जोशी और के. पी. सक्सेना के बाद सिर्फ संपत सरल ही हैं, जो कवि सम्मेलनों और मुशायरों के लिए हास्यपूर्ण गद्य लिखते हैं। सम्पत सरल अपने वैचारिक एवं उद्देश्यपरक तीक्ष्ण व्यंग्यों के माध्यम से सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक विसंगतियां उजागर करते हैं। वे हिंदी व राजस्थानी में लेखन कार्य करते हैं। उन्होंने दो पुस्तकें ‘चाकी देख चुनाव‘ और ‘छद्मविभूषण‘ लिखी हैं।
15. सुदीप्ति इतिहास, मिथकों एवं भारतीय महिलाओं के जीवन पर इस प्रकार लिखती हैं कि ये रचनाएं ना तो लोकवादी होती है और ना ही चरमपंथी शैली की। अपनी एम. फिल के दौरान उन्होंने हिन्दी आधुनिक काव्य में अपने पहली कार्य के रूप में महेश नारायण की कविता ’स्वप्ना’ की गहराई से पड़ताल की। इसके निष्कर्ष साहित्यिक अकादमी द्वारा प्रकाशित पत्रिका समकालीन भारतीय साहित्य में छपने के बाद सुदीप्ति हिन्दी लोक क्षेत्र में एक समीक्षक के रूप में पहचाने जाने लगी। वे इन दिनों हिन्दी साहित्य में पुनर्जागरण काल विषय पर शोध कर रही हैं।
16. विनोद भारद्वाज लेखक एवं पत्रकार हैं। उन्होंने क्रिएटिव डायरेक्टर एवं काॅपी राइटर के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी। इस दौरान उन्होंने कई पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर लेखन कार्य किया। उन्होंने दैनिक भास्कर में 18 वर्षों तक फीचर एडिटर के रूप में काम किया। उन्हें जवाहरलाल दरड़ा स्मृति लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वे दो पुस्तकों के संपादक है, जिनमें एक पुस्तक कैफी आज़मी और दूसरी हिन्दी पत्रकारिता पर आधारित है। भारद्वाज प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप के महासचिव भी हैं। वे वर्तमान में उर्दू कवि, मिर्जा गालिब पर आधारित एक उपन्यास ’गली कासिम जान’ पर कार्य कर रहे हैं।
17. यश गोयल पत्रकार, लेखक, समीक्षक, छायाकार एवं पूर्व जैव-प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक हैं। वे तीन साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं, जो राजस्थान पत्रिका, हिमाचल प्रदेश भाषा-साहित्य-संस्कृति तथा भगवान अटलानी कथा द्वारा प्रदान किए गए हैं। इनके अतिरिक्त उन्हें प्रतिष्ठित पत्रकारिता पुरस्कार- मानक अलंकरण से भी सम्मानित किया जा चुका है। गोयल द्वारा लघु कथाओं की चार, व्यंग्य पर पांच, बाल कथाओं की तीन, इंटरव्यू जर्नलिज्म की एक पुस्तक प्रकाषित हो चुकी है। उन्होंने फ्रांज काफ्का व नोबेल पुरस्कार विजेता जारोस्लाव सेफर्ट की साहित्यिक रचनाओं का अनुवाद भी किया है। ‘फलसफा‘ और ‘अच्छे दिन तंज के‘ उनकी नवीनतम पुस्तकें हैं। अपने साहित्यिक कार्य से पूर्व वे जोधपुर और अमेरिका की यूनिवर्सिटीज में प्लांट टिष्यू कल्चर से  रेगिस्तानी पौधों का क्लोन बनाने वाले प्रथम वैज्ञानिक थे। 30 वर्ष तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के साथ काम करने के बाद वे वर्तमान में राजस्थान में द ट्रिब्यून के साथ जुड़े हुए हैं।

LEAVE A REPLY