बाल मुकुन्द ओझा
महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों से देश चीत्कार उठा है। प्रतिदिन हैवानियत की हदें लांघी जा रही हैं। देश के कोने कोने में आये दिन हो रही रेप, हिंसा और यौन शोषण की वारदातें लड़कियों की सुरक्षा पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती दिख रही हैं। देश में महिला सुरक्षा को लेकर किये जा रहे तमाम दावे खोखले साबित हुए है। महिला सुरक्षा को लेकर देशभर से रोजाना अलग-अलग खबरें सामने आती रहती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के तमाम दावों और वादों के बाद भी उनकी हालत जस की तस है। दिल्ली में कंझावाला में कार से कुचल कर हुई दरिंदगी और हरियाणा में एक मंत्री द्वारा महिला कोच के यौन शोषण की वारदात से समूचा देश सिहर उठा है। देश की राष्ट्रीय राजधानी ही सुरक्षित नहीं है। सुरक्षा के दावों की पोल खुल गई है। कंझावला कांड से लोगों में लोगों में गम और गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दरिदों ने लड़की को अपनी कार से 12 किमी तक घसीट कर दरिदंगी की हदे पार कर दी। तरह तरह की अफवाहों के बीच गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से पूरी रिपोर्ट तलब की है। मृतक लड़की के परिवार ने रेप का आरोप लगाकर जाँच की मांग की है। वहीँ हरियाणा के एक मंत्री ने यौन शोषण में फंसकर अपने पद से स्तीफा दे दिया है। इससे पूर्व 12 नवम्बर 22 को दिल्ली में रहने वाली एक महिला का कथित तौर पर उसके लिव-इन पार्टनर ने बेरहमी से कत्ल कर दिया था। अभिनेत्री तुनीषा की मौत का मामला अभी सुलझ नहीं पाया है। तीन महीने पहले ही झारखंड में 19 साल की एक लड़की को एक व्यक्ति ने जलाकर मार डाला था। उत्तराखंड में अंकिता हत्याकांड ने देश को झकजोर कर रख दिया था। अक्तूबर में दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मानव बलि की एक घटना ने सनसनी मचा दी थी । केरल के इलाथूर क़स्बे में एक घर से दो महिलाओं के शरीर के अवशेष कई हिस्सों में मिले थे। 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में दो नाबालिग दलित लड़कियों के शव पेड़ से लटके मिले थे। मेडिकल रिपोर्ट में लड़कियों के साथ बलात्कार की पुष्टि भी हुई थी। इन घटनाओं के बाद बहुत हो-हल्ला हुआ और लोग इंसाफ के लिए सड़कों पर उतर आए थे। राष्ट्रीय महिला आयोग को साल 2022 में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों की लगभग 31,000 शिकायतें मिलीं, जो 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं। आयोग की ओर से जारी किए गए सालाना आंकड़ों में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आकंड़ों के मुताबिक, कुल शिकायतों में से एक चौथाई घरेलू हिंसा से जुड़ी थीं। आयोग को 2021 में 30,864 शिकायतें मिली थीं, जो 2022 में थोड़ी बढ़कर 30,957 हो गई हैं। साल 2014 में सर्वाधिक 33,906 शिकायतें मिली थीं। सत्य तो यह है लाख प्रयासों के बावजूद महिला हिंसा में कोई कमी परिलक्षित नहीं हो रही है।

भारत को संस्कार, संस्कृति और मर्यादा की त्रिवेणी कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में नारी अस्मिता को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। मगर आज सब कुछ उल्टा पुल्टा हो रहा है। न नारी की पूजा हो रही है और देवताओं की जगह सर्वत्र राक्षस ही राक्षस दिखाई दे रहे है। समाज के नजरिए में भी महिलाओं के प्रति अब तक कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। ऐसा लगता है जैसे हमारा देश भारत धीरे-धीरे बलात्कार की महामारी से पीड़ित होता जा रहा है। यौन अपराध चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहे हैं। पिछले चार दशकों में अन्य अपराधों की तुलना में रेप की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है और दोषियों को सजा देने के मामले में हम सबसे पीछे हैं। दो साल की बच्ची से लेकर बुजुर्ग महिला तक दुष्कर्म की
शिकार हो रही है। ऐसे में कानून के पालनहार कोई सख्त कदम उठाने के बजाय अपनी गलतियों को छिपाने के लिए नित नए बहाने ढूंढ रहे है। सच तो यह है कि एक छोटे से गांव से देश की राजधानी तक महिला सुरक्षित नहीं है। अंधेरा होते-होते महिला प्रगति और विकास की बातें छू-मंतर हो जाती हैं। रात में विचरण करना बेहद डरावना लगता है। कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुँचने की चिंता सताने लगती है। देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में कमी नहीं आरही है। भारत में आए दिन महिलाएं हिंसा और अत्याचारों का शिकार हो रही हैं। घर से लेकर सड़क तक कहीं भी महिला सुरक्षित नहीं है। देश में महिला सुरक्षा को लेकर किये जा रहे तमाम दावे खोखले साबित हुए है। महिला सुरक्षा को लेकर देशभर से रोजाना अलग-अलग खबरें सामने आती रहती हैं। देश में महिलाओं की स्थिति पर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। महिलाओं की सुरक्षा के तमाम दावों और वादों के बाद भी उनकी हालत जस की तस है। महिलाएं रोज ही दुष्कर्म, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा और अत्याचार से रूबरू होती है।

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