The case of non-expenditure in interest of contribution from lawyers: Bar Council on Community Life Insurance Considerations: High Court

जयपुर। वकीलों से अंशदान लेकर उनके हित में खर्च नहीं करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश एम.एन. भंडारी की एकलपीठ ने बार कौंसिल आॅफ राजस्थान को वकीलों का सामुहिक जीवन बीमा कराने के संबंध में विचार करने को कहा है। साथ ही हाईकोर्ट ने वकील की मौत होने पर दी जाने वाली ढ़ाई लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि में भी बढ़ोत्तरी करने के लिए उचित कदम उठाने को कहा है। इस संबंध में दी बार एसोसिएशन, जयपुर के पूर्व संयुक्त सचिव लोकेश शर्मा ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि राजस्थान अधिवक्ता कल्याण कोष अधिनियम, 1987 की धारा 26 में कहा गया है कि बार कौंसिल वकीलों का सामुहिक बीमा के साथ चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराए।

बार कौंसिल वकीलों से अधिवक्ता कल्याण कोष में अंशदान लेकर भी अब तक सामुहिक बीमा और मेडिक्लेम के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही। एक्ट की धारा 17 के तहत वकील की मौत होने पर केवल ढाई लाख रुपए ही क्षतिपूर्ति के दिए जा रहे हैं। जबकि कौंसिल के पास वर्तमान में 72 करोड़ का फंड है और सालाना करीब 7 करोड़ रुपए की बचत हो रही है। कौंसिल का कहना था कि 2०15-16 में 2.43 करोड रुपए से अधिक क्षतिपूर्ति राशि एवं एक करोड रुपए बीमारी व रिटायरमेंट क्लेम के दिए गए हैं। एलआईसी की ओर से 65 साल से बडे व्यक्ति का जीवन बीमा नहीं किया जाता है। यदि सामुहिक बीमा कराया जाता है तो बडी राशि प्रीमियम के तौर पर दी जाएगी।

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