– डॉक्टरों का विरोध मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है
जालोर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में आंदोलन कर रहे डॉक्टरों का विरोध मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रॉपर इलाज नहीं होने से 3 साल के मासूम की मौत हो गई। मामला जालोर जिले के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र का है। काम्बा गांव के निवासी परिजनों का आरोप है, कि एमसीएच के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से बच्चे की मौत हुई है। परिजन कई निजी अस्पतालों के चक्कर काटते रहे लेकिन मासूम को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। मृतक के चाचा दलपत सिंह ने बताया कि धनपत को 2-3 दिन से सर्दी जुकाम था। मंगलवार सुबह अचानक बीमार हो गया था। बीमार होने पर जालोर के कई निजी अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन वहां पर सबने इलाज करने से मना कर दिया। इसके बाद बच्चे की हालत खराब होने पर उसे जालोर मातृ एवं शिशु अस्पताल लेकर पहुंचे। अस्पताल में बच्चे को इमरजेंसी में भर्ती तो कर लिया, लेकिन सभी डॉक्टर 9 बजे से 11 बजे तक कार्य बहिष्कार पर थे। कुछ समय बाद बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश चौधरी ने आते ही रेफर कर दिया। रेफर करने के कुछ समय बाद मासूम की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अगर डॉक्टर सही से इलाज करता, तो मासूम की जान बच सकती थी। मृतक का पिता विक्रम सिंह आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा में चाय की दुकान चलाता है। उनके 2 लड़के शक्तिपाल (5), धनपत सिंह (3) और डेढ़ साल की एक बच्ची थी। विक्रम सिंह का परिवार विजयवाड़ा में ही रहता है। विक्रम सिंह के पिता की 15 मार्च को डेथ हुई थी, तभी परिवार गांव आया था। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मुकेश चौधरी ने बताया परिजन सीरियस हालत में बच्चे को अस्पताल लेकर आए थे, उस समय मैं बाहर था। उस दौरान ड्यूटी पर डॉ. महावीर थे। उन्होंने बच्चे को एडमिट किया था। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो बच्चे का इलाज चल रहा था। ऑक्सीजन और ड्रिप लगा रखी थी। डॉक्टर महावीर ने बच्चे की कंडीशन खराब होने के कारण परिजनों को पहले ही आगे इलाज के लिए ले जाने को बोल दिया था। मैने पहुंचते ही रेफर कर दिया था। उसके बाद रास्ते में उसकी मौत हुई है।

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