टोंक। जहां एक ओर हम देखते हैं कि मन्दिर मस्जिद को लेकर झगडे की स्थितियां मुंह बाहे खडी होती नजर आती हैं। वही दूसरी ओर नफरत के माहौल में कई लोग आपसी भाईचारे और मुहब्बत का सन्देश भी बखूबी देते नजर आते हैं। यह बात भी सच है कि धर्म के नाम पर कुछ लोग अपना स्वार्थ भुनाने के लिए हद से ज्यादा गिर जाते हैं, जिनसे धर्म को भी शर्म आने लगती है लेकिन हमारे देश में आज भी ऐसी हजारों मिसालें जिन्दा हैं जो मुहब्बत ओर भाईचारे का पैगाम बखूबी देती रही है। ऐसी ही एक मिसाल टोंक शहर में अकबर खान नाम के एक समाज सेवी ने भी पेश की है जो कही ना कही एकता और भाईचारे का पैगाम देती बखूबी नजर आ रही है। अकबर खान ने एक हिन्दू आबादी वाली बस्ती में जहां मन्दिर नही था वहां पर मन्दिर के लिए न सिर्फ जमीन ही दी बल्कि लाखों रूपए की लागत से वहां पर ओमकारेश्वर शिव मन्दिर का निर्माण कराया और सभी धार्मिक परम्पराओं से भगवान की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा भी करवाई। अकबर खान लम्बे समय से दलित सेना से जुडे होने के साथ ही सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हुए हैं। गत वर्ष अन्नपर्णा गणेश मन्दिर में गणेश उत्सव के अवसर पर भी अकबर खान द्वारा करीब 50 हजार रूपए का योगदान दिया वह सभी वर्ग और धर्म की आस्थाओं का सम्मान करते रहे हैं।

मजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना

कुछ इसी तरह का सन्देश अकबर खान ने नवाबों की नगरी टोंक शहर में दिया है। गौरतलब है कि सदियों से टोंक गंगा जमुनी तेहजीब का केन्द्र रहा है जो आज भी यहां की इमारतों वह बोलचाल सहित यहां के रहन सहन में बखूबी नजर आता है। टोंक के प्रथम नवाब अमीर उद दौला ने भी पद भार ग्रहण करने के बाद यहां पर जब शाही जामा मस्जिद की नींव रखी तो उसी के साथ ही रघुनाथ जी के मन्दिर की बुनियाद भी डाली थी। ऐसी कई मिसालें यहां आज भी मौजूद हैं जिससे यह बात बखूबी स्पष्ट होती है कि टोंक गंगा जमुनी संस्कृति का एक मजबूत केन्द्र रहा है। यहां एक दीवार के बीच मन्दिर और मस्जिद देखने को मिलते हैं वही सूफ ी सन्तों में आपसी भाईचारे के कई उदाहरण भी मौजूद है। बहरहाल अकबर खान द्वारा जो शिव मन्दिर का निर्माण करवा कर दिया गया है वो भी एक बडा कार्य टोंक की तहजीब को मजबूती प्रदान करता नजर आ रहा है। अकबर खान-का कहना है कि उस बस्ती में मन्दिर नही हेने के कारण वहां आस्थावानों के लिए मन्दिर की जरूरत महसूस हो रही थी इसी के चलते मन्दिर निर्माण का बीडा उठाया जो ईश्वर ने पूरा किया। अकबर का यह भी कहना है कि एकता और भाईचारा में सबकी भलाई व बरकत है। मजहब के नाम पर नफरत नही मुहब्बत का सन्देश दिया जाए। यही हर मजहब का फलसफा।

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  1. खबर की दुनिया में Janprahari समाचार पत्र एक नई क्रांति ला रहा है

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