– राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रोक लगाने से इनकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्ण रोक लगाने से इनकार किया। राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में चारों दोषियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि राज्य सरकार इस मामले में पुख्ता सबूत नहीं पेश कर सकी। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने चारों को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों की रिहाई तभी की जा सकती है, जब किसी अन्य मामले में उनकी हिरासत की जरूरत न हो। कोर्ट ने इस मामले के जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने दोषियों की रिहाई से पहले जमानत बांड से संबंधित हाईकोर्ट की शर्तों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी दोषियों को अपना पासपोर्ट राजस्थान पुलिस के पास जमा करना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि अगर दोषी राजस्थान एटीएस के दफ्तर में रिपोर्ट करने में विफल रहता है, तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र है। यह याचिका जयपुर सीरियल ब्लास्ट के पीड़ितों राजेश्वरी देवी आदि ने वकील शिवमंगल शर्मा, हेमंत नाहटा और आदित्य जैन के जरिये दायर की है। जयपुर में 13 मई, 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 18 दिसंबर, 2019 को चार दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट मैं चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने 29 मार्च को दिए आदेश में चार दोषियों को बरी कर दिया था। 2008 में हुए ब्लास्ट में 71 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 185 लोग घायल हो गए थे। इस मामले में कुल 8 एफआईआर दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में जिस एफआईआर पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, वो जयपुर के मानक चौक पुलिस थाने में दर्ज की गई थी। यह ब्लास्ट पूर्व मुखी हनुमान मंदिर, सांगानेरी गेट के निकट किया गया था। इस ब्लास्ट में 36 लोग घायल हुए थे और 17 लोगों की मौत हुई थी। ब्लास्ट के अगले दिन कुछ न्यूज चैनलों को एक ई-मेल भेजा गया, जिसमें आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने इन सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी।
-पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगा दी है, जिसमें मामले में अनुसंधान करने वाले एटीएस के अफसरों के खिलाफ डीजीपी को कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। वहीं अदालत ने राज्य सरकार को मामले में दोषमुक्त किए आरोपी मोहम्मद सैफ व सैफुर्रहमान के नोटिस की तामील कराने के लिए कहा है। जस्टिस अभय एस ओका व राजेश बिंदल की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की एसएलपी को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए दिए। अदालत ने निचली कोर्ट से मामले का रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा है और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह मामला डेथ रेफरेंस से जुडा है, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट के सीजे के समक्ष भिजवाया जाए। ताकि आगामी सुनवाई 9 अगस्त को इसकी सुनवाई के लिए तीन जजों की बेंच बनाई जा सके। पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जयपुर बम ब्लास्ट में मारे गए व्यक्ति की पत्नी राजेश्वरी देवी व अन्य की एसएलपी को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए राज्य सरकार की एसएलपी को भी उसके साथ ही सूचीबद्ध कर दिया था। गौरतलब है कि घटना के दौरान जिंदा मिले बम को लेकर शाहबाज हुसैन के अलावा अन्य आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं।  राज्य सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी व अधिवक्ता संदीप झा ने कहा कि आरोपियों को हाईकोर्ट के आदेश की पालना में छोड़ा नहीं जाए, क्योंकि इनको बड़ी मुश्किल से पकड़ा जा सका था। इनको छोड़ दिए जाने पर गायब होने का खतरा है। तीन आरोपी घटना के 14 साल बाद भी पकड़ में नहीं आ सके हैं। उधर, पीड़िता राजेश्वरी देवी और अभिनव तिवारी की ओर से अधिवक्ता हाजिर रहे।

यह भी निर्देश
– यदि बम विस्फोट के आरोपी किसी अन्य मामले में अंडरट्रायल/दोषी नहीं हैं तो उनके मामले में जमानत बांड की शर्तों का कड़ाई से पालन हो।
– मामले की जांच में खामी को लेकर पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के हाईकोर्ट आदेश की पालना पर रोक।
– राज्य सरकार सैफ और सैफुर्रहमान को नोटिस तामील कराना सुनिश्चित करे।
– आरोपी अन्य मामलों में जमानत प्राप्त करने के लिए हाईकोर्ट के आदेश का सहारा नहीं ले सकेंगे।
– राज्य सरकार ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड उपलब्ध कराने और पेपरबुक पूरी कराने सहित अन्य दस्तावेजी तैयारी पूरी करवाए।

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