जयपुर। वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ‘आतंकवाद वर्तमान की सबसे गंभीर बीमारी है। सूफीवाद को अपनाकर और इसका प्रसार कर आंतकवाद समाप्त किया जा सकता है।‘ वे जयपुर के डिग्गी पैलेस में आरम्भ हुए तीन दिवसीय साउथ एषियन सूफी फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सूफीवाद ने अंधविष्वास एवं धर्मान्धता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंसा के वर्तमान दौर में यह और अधिक प्रासंगिक हो गया है। सूफीवाद में संगीत एवं ध्यान का अनूठा संयोजन है। सूफीवाद का मानना है कि ईष्वर सर्वव्यापी है और मानवता के धर्म पर इसका दृढ़ विष्वास है। सूफीवाद में जाति अथवा धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। अतः सूफीज्म के सिद्धांतों को ना केवल समझना बल्कि उनका पालन करना भी उपयुक्त है।
उन्होंने बाड़मेर के मांगणियार समुदाय का उदाहरण दिया, जो सूफी संत बुल्ले शाह के गीत गाते हैं। उन्होंने कहा कि यह समुदाय ना केवल सूफी गीतों को गाता है, बल्कि सूफीज्म के अनुसार आचरण भी करता है। इस अवसर पर उन्होंने बुल्ले शाह की एक गजल भी सुनाई, जिसे दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया। उन्होंने कबीर, मीरा, रसखान और रहमान जैसे प्रसिद्ध संतों के बारे में भी बात की, जो सूफीवाद से अत्यधिक प्रभावित थे।
फाउंडेषन आॅफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर की निदेशक, पद्मश्री अजीत कौर ने कहा कि फाउंडेषन द्वारा सूफी फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, क्योंकि सूफीवाद बाहरी एवं भीतरी; आर्थिक एवं आध्यात्मिक; जीवन के दौरान एवं जीवन के बाद, मानव और परमात्मा, आदि के मध्य की कड़ी है। सूफीवाद नेे विभिन्न संस्कृति एवं धार्मिक सिद्धांतों के मध्य सामंजस्यता स्थापित का मार्ग प्रदान किया है। यह फेस्टिवल सिर्फ धर्म या धार्मिक कविता से नहीं बल्कि प्रेम, करुणा एवं परस्पर सम्मान के माध्यम से लोगों के दिल, दिमाग एवं अंतरात्मा को एक दुसरे से जोड़ने से सम्बंधित है।
विदेश मंत्रालय के सार्क डिविजन के संयुक्त सचिव प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि सूफीवाद लोगों को परस्पर जोड़ने से सम्बंधित है। यह लोगों के अतिरिक्त विभिन्न देशों और धर्मों को भी जोड़ता है। सूफीवाद शांति, सद्भाव एवं भाईचारे का संदेश फैलाता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर. एस. चैहान ने कहा कि सूफीवाद वास्तव में जीवन में उदारता का प्रतिक है। भारतीय संविधान विशेष रूप से इसकी प्रस्तावना सूफीवाद की भावना से प्रभावित है, जैसा कि यह समतावाद, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व की बात करता है। यह धर्म के सिद्धांतों और संवैधानिक कानून के संयोजन का द्योतक है।

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