– भाग सिंह
जयपुर। सोशल ट्रेड बिजनेस के नाम पर नियम-कायदों को धत्ता बताकर देशभर में लाखों लोगों से अरबों-खरबों रुपए ऐंठकर लाभांश नहीं देने वाली सोशल ट्रेड कंपनी अब्लेज इन्फ्रो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के कर्ताधर्ताओं के बारे में एसटीएफ यूपी ने नया खुलासा किया है। कंपनी संचालक और निदेशक अनुभव मित्तल और उसके कर्ताधर्ता कानून से बचने के लिए ना केवल कंपनियों के नाम बदलते रहे, बल्कि कंपनी जो निवेशक ग्राहकों को पांच रुपए प्रति क्लिक के दे रही थी, वह क्लिक वेबसाइट फर्जी बताई जा रही है। ग्राहकों से ही राशि लेकर क्लिक का भुगतान किया जा रहा था। हालांकि राशि देने का रोटेशन बिगडऩे पर ग्राहकों ने पुलिस थानों और कार्पोरेट मंत्रालय में शिकायतें की तो इस मामले का खुलासा हुआ। अनुभव मित्तल, श्रीधर से पूछताछ में सामने आया है कि पहली कंपनी अब्लेज इन्फ्रो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की शिकायतें आने पर कंपनी संचालक कानून से बचने के लिए कंपनियां भी बदलते रहे। कंपनी का नाम सोशल ट्रेड बिज से बदलकर फ्री हब डॉट कॉम कर लिया है। इसके बारे में शिकायतें और कानूनी अड़चने आई तो कंपनी ने फेजअप डॉट कॉम, इंटमार्ट डॉट कॉम और थ्री डब्ल्यू डॉट कॉम के नाम से कंपनी गठित कर ली। हालांकि इनकी ये कारगुजारियां ज्यादा नहीं चली। जनप्रहरी एक्सप्रेस रिपोर्टर ने एसटीएफ एएसपी अमित पाठक से मामले के बारे में जानकारी ली तो यह सामने आया कि अनुभव मित्तल व दूसरे कर्ताधर्ताओं ने मेम्बर तो खूब बना दिए, लेकिन कुछ महीनों से उन्हें उनका लाभांश नहीं दिया जा रहा था, जिसके चलते लोगों ने शिकायतें करना शुरु कर दिया। यूपी, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, बिहार में इस कंपनी के सदस्य ज्यादा है। करीब सात लाख से अधिक सदस्य बताए जाते हैं। एसटीएफ अनुसंधान में यह भी सामने आया है कि कंपनी ने फर्जी विज्ञापन कंपनियां बनाकर वेबसाइट पर डाल रखी थी। लोगों से जो पैसा आता था, उसे ही प्रति क्लिक के हिसाब से लाभांश देते थे। वे नए सदस्य जोडऩे पर अच्छा खासा कमीशन और टारगेट पूरे करने पर मोबाइल, लेपटॉप जैसे अवार्ड भी दिए जाते थे। हालांकि कंपनी ने ग्राहकों को बराबर लाभांश भी देती रही है, लेकिन हजारों लोग ऐसे भी थे, जिन्हें पैसा नहीं मिला और कुछ महीनों से लाभांश देने की व्यवस्था भी बिगड़ गई थी। लोगों को लगा कि कंपनी भग सकती है तो वे पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों को शिकायतें करने लगे। उत्तरप्रदेश में कई मामले कंपनी के खिलाफ दर्ज हो चुके हैं। एसटीएफ लोगों से लिए पैसों के निवेश, हिसाब-किताब, इंकम टैक्स देने, ग्राहकों से काटे गए टीडीएस का हिसाब आदि के बारे में भी पडताल कर रही है, साथ ही कंपनी के उन एजेंटों और सक्रिय सदस्यों की भी सूची तैयार कर रही है, जिन्होंने कंपनी से पांच लाख रुपए से अधिक का लाभांश प्राप्त किया है और कंपनी के लिए ग्राहकों को जोड़ते थे। उन एजेंटों व मेम्बर्स के बैंक खातों को फ्रीज करने की तैयारी में है एसटीएफ, साथ ही उन्हें पूछताछ के लिए बुलाएगी।

LEAVE A REPLY