जयपुर। फिर मानवता को शर्मसार करने की घटना सामने आई है। उडीसा के बाद छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सुकमा क्षेत्र में एक मरीज की मौत के बाद एम्बुलैंस नहीं देने पर परिजन शव कंधे पर ही उठाकर ले गए। वो भी 16 मील तक पैदल ही शव लेकर घर पहुंचे और उसका दाह संस्कार किया। रास्ते में जिसने ने भी शव को इस तरह से कंधे पर कांवड की तरह ले जाते देखा, वह सोचता रहा कि देश और राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल और गरीब वर्ग किस तरह से आज भी जरुरी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। साथ ही उन लोगों का भी दिल नहीं पसीजा जिनके पास चौपहिया वाहन और सम्पन्न थे और कंधे पर शव ले जाते वक्त वे ठिठके तो जरुर लेकिन कोई सहायता नहीं कर सके। मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना बस्तर के सुकमा के सरकारी अस्पतला की है। एक आदिवासी परिवार के सदस्य की मौत होने पर अस्पताल प्रशासन ने पहले तो उनसे पोस्टमार्टम के नाम पर 22 सौ रुपए वसूल लिए, लेकिन 16 मील दूर गांव तक शव ले जाने के लिए अस्पताल ने एम्बुलैंस की व्यवस्था नहीं की। जब कोई व्यवस्था नहीं हो पाई तो गरीब आदिवासी परिवार के सदस्यों ने स्टे्रचर को ही कांवड़ बना कर शव को कंधे पर ढोकर गांव तक ले गए। जब मीडिया में चला तो कलक्टर की निद्रा टूटी और आनन-फानन में एक वाहन भेजकर शव व परिजनों को गांव तक पहुंचाया। हालांकि तब तक वे आधे से ज्यादा सफर तय कर चुके थे। इस घटना के बाद से प्रशासन के साथ सरकार की खामियों पर भी ताने कसे जा रहे हैं।

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