जयपुर. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने वक्तव्य जारी कर राजस्थान सरकार द्वारा सातवें वेतन आयोग लागू करने के क्रम में कमेटी गठित करने का विरोध करते हए कहा कि केन्द्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को जुलाई 2016 में 01 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा की थी लेकिन राज्य सरकार ने 8 माह तक कोई निर्णय नही लिया और जब राज्य का कर्मचारी बजट सत्र के दौरान सातवें वेतन आयोग के लागू करने का इन्तजार कर रहा था ऐसे में राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन कर यह दर्शा दिया है कि राज्य सरकार की नियत सातवें वेतन आयोग के देने के मामले में साफ नही है एवं अनावश्यक लम्बा खीचना चाहती है। महासंघ ने यह भी बताया कि विगत वर्षों में घोषित चैथे, पांचवें व छठे वेतन आयोगो की सिफारिशों को लागू करने से पूर्व किसी भी प्रकार की कोई कमेटी का गठन नही किया गया था ऐसे में राज्य सरकार द्वारा इस कमेटी का क्या औचित्य है, महासंघ ने यह मांग की है कि पूर्व सरकारों ने जिस तरह सैद्धान्तिक समझौतों की पालना करते हुए वेतन आयोगों की सिफारिशें लागू की है। वर्तमान राज्य सरकार भी इसे लागू करें। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया एवं प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड ने समिति के गठन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया कि सरकार प्रदेश के कर्मचारियों को कमेटी के नाम पर गुमराह करने का कार्य कर रही है चुंकि एक समिति वर्तमान सरकार के चुनाव में किये गये वायदे के अनुरूप पांचवें एवं छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने के लिए वरिष्ठ मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह राठौड की अध्यक्षता में पूर्व से ही गठित है तथा विगत 2 वर्षों से कर्मचारी संगठनों से वार्ता कर रही है परन्तु आज दिवस तक किसी परिणाम तक नही पहंुच पायी है। इसका अर्थ है कि सरकार कमेटियों के नाम पर कर्मचारियों में भ्रम पैदा करना चाहती है एवं बजट सत्र के दौरान कर्मचारी आक्रोश एवं महासंघ द्वारा जारी आंदोलन को शान्त करने का असफल प्रयास कर रही है। महासंघ सरकार की कुटिल चाल की घोर निन्दा करता है एवं सरकार से मांग करता है कि कमेटियों को छोडकर सीधे ही 01 जनवरी 2016 से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें हूबहू लागू करें। महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता एवं मूलचन्द गुर्जर ने संयुक्त बयान जारी कर बताया कि सरकार की नियत में खोट है जिसके कारण समिति का गठन किया गया है वास्तव में समिति कर्मचारियों को मिल रही सुविधाओं पर कैंची चलाने का कार्य करेगी। राज्य सरकार ने सत्तासीन होने से अब तक मिल रही सुविधाओं में कटौती करने का कार्य किया है। जिसमें स्टेशनरी भत्ता, पति-पत्नी को मकान किराया भत्ता, राजस्थान पेंशनर मेडिकल फण्ड को मंहगाई भत्ते से जोडने जैसी कार्यवाहियाँ की गयी है एवं कटौतियों का सिलसिला जारी रखना चाहती है। सरकार कर्मचारी आंदोलन को कुचलने एवं कर्मचारियों को भ्रमित करने की मंशा से समिति का गठन किया है। प्रदेश का कर्मचारी सरकार की दोगली चाल को भली-भांति जानता है एवं इससे कर्मचारी आक्रोश को ओर बल मिलेगा व आंदोलन तेज होगा। सरकार को चाहिए था कि सर्व प्रथम पांचवें एवं छठे वेतन आयोगों में रही विसंगतियों का निराकरण करती, इसके उपरान्त ही तुरन्त प्रभाव से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाती। महासंघ द्वारा प्रस्तावित आंदोलन के चरण यथा- 7 व 8 मार्च 2017 को विधान सभा पर कार्यकारिणी का अनशन एवं 7 अप्रेल 2017 की रैली यथावत रहेंगे। सरकार की इस घोषणा का विभिन्न संगठनों ग्राम सेवक संघ, शिक्षक संघ, पटवार संघ, पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ, नर्सेज एसोसियेशन, आयुर्वेद नर्सेज, आयुर्वेद परिचारक, पंचायत राज, नल मजदूर संघ, हाउसिंग बोर्ड, स्टोनोग्राफर संघ, सहायक कर्मचारी संघ, मंत्रालयिक कर्मचारी संघ आदि संघो ने कडा विरोध जताया है।

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