जयपुर। विशेष पिछड़ा वर्ग (एसबीसी)आरक्षण मामले में राजस्थान का गुर्जर समाज फिर से आंदोलन की राह पर आ सकता है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हारने के बाद गुर्जर समाज में गुस्सा है। कोर्ट आदेशों के बाद अब राजस्थान में एसबीसी नहीं रही है। गुर्जर समाज सामान्य श्रेणी में आ गया है। उसे ओबीसी का लाभ भी नहीं मिलेगा। इससे नाराज गुर्जर समाज के नेताओं ने अपने तीखे तेवर दिखाते हुए बुधवार को आहूत बैठक में नहीं पहुंचे, जिसमें सरकार के मंत्री इस मुद्दे पर गुर्जर नेताओं से चर्चा करने वाले थे। बैठक का बहिष्कार करते हुए गुर्जर समाज ने विरोध स्वरुप दौसा के सिकंदरा में धरना भी दिया है। इससे लग रहा है कि गुर्जर समाज फिर से आंदोलन शुरु कर सकता है। प्रदेश में गुर्जर ओबीसी वर्ग में थे। अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर हुए आंदोलन के बाद सरकार ने इन्हें विशेष पिछडा वर्ग कैटेगेरी में मानते हुए पांच फीसदी आरक्षण दिया। इसमे रैबारी समेत पांच जातियां भी शामिल थी। इस आरक्षण को कोर्ट में चुनौती दी गई तो हाईकोर्ट ने सरकार के इस एसबीसी आरक्षण को निरस्त कर दिया। सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। वहां भी कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। वहां मामला विचाराधीन है। कोर्ट आदेश के चलते गुर्जर समाज सामान्य श्रेणी में आ गया। नौकरियों और सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए जारी विज्ञप्तियों में इन्हें सामान्य श्रेणी में माना गया है। छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाएं भी रुक गई है। उधर, गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रवक्ता हिम्मत सिंह गुर्जर का आरोप है कि भाजपा सरकार पहले आश्वासन देती है और फिर दूसरे दिन भूल जाती है। कोर्ट आदेश के बाद हमारा आरक्षण खत्म हो गया है। सरकार की इस लापरवाही के विरोध में ही गुर्जर समाज बैठक में नहीं आया है और धरना दिया है।

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