कलकता| सुप्रीम कोर्ट ने कलकता हाईकोर्ट के जस्टिस (सेवानिवृत्त) सीएस कर्णन को अंतरिम जमानत देने से मना कर दिया है। शीर्ष अदालत ने 9 मई को अवमानना मामले में जस्टिस कर्णन को छह महीने जेल की सजा सुनाई थी। उसके बाद वे फरार चल रहे थे। पश्चिम बंगाल सीआईडी ने उनको कोयबंटूर के निजी रिसॉर्ट में गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सात न्यायाधीशों की खंडपीठ की ओर से पारित आदेश में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता। अदालत ने जस्टिस कर्णन के वकील से कहा कि वह न्यायालय की छुट्टियों के बाद मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष ले जाऐ। मालूम हो कि मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित अन्य न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाने के बाद जस्टिस कर्णन का स्थानांतरण कोलकाता उच्च न्यायालय कर दिया था। जस्टिस कर्णन पिछले हफ्ते 12 जून को सेवानिवृत्त हो गये थे।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ ने जस्टिस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुए छह महीने की जेल की सजा सुनाई थी। इसके तुरंत बाद पश्चिम बंगाल पुलिस का एक दल उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चेन्नई के लिए रवाना हो गया लेकिन उनको सफलता अर्जित नही हुई थी। जस्टिस कर्णन के मोबाइल कीे लोकेशन का पता लगाकर, उनको गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली। जस्टिस कर्णन ने मद्रास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने इस सिलसिले में जस्टिस कर्णन की लिखी चिट्ठियों का स्वतर: संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा शुरू किया था।
जस्टिस कर्णन 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। ऐसा करने वाले वह किसी भी हाई कोर्ट के पहले जस्टिस थे। जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को असंवैधानिक बताया था। उन्होंने कहा था, 7 जज मुझे कोई भी न्यायिक और प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रहे हैं और इन लोगों ने मुझे परेशान भी किया है तथा इन लोगो ने मेरा सामान्य जीवन खराब कर दिया है। इसलिए मैं इन सभी 7 न्यायाधीशों से मुआवजे के रूप में 14 करोड़ रुपये लूगा।

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