जयपुर। शहर में आवासीय परिसरों के व्यावसायिक गतिविधियों में तब्दील होने का क्रम इन दिनों जोरों पर देखने को मिल रहा है। वहीं नगर नियोजन का जिम्मा संभालने वाला नगर निगम इस मामले बेपरवाह ही बना हुआ है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि शहर में कितने व्यावसायिक कॉम्पलेक्स है। इस बात की जानकारी निगम के रिकॉर्ड है। यह जानकारी धरोहर बचाओ समिति संरक्षक भारत शर्मा को सूचना के अधिकार के तहत मिली। जिसमें स्पष्ट रुप से व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों की सूची निगम के रिकॉर्ड में होने से इंकार कर दिया गया। जबकि वास्तविकता यह है कि शहर के परकोटे में व्यावसायिक परिसरों के निर्माण पर पूर्णत: पाबंदी होने के बाद भी परकोटे के भीतर ३०० से अधिक व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों का निर्माण हो चुका है। शर्मा ने बताया कि 31 मार्च 2013 तक हवामहल जोन पूर्व व पश्चिम के अन्र्तगत आने वाले व परकोटे क्षेत्र में संचालित व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों व उनके मालिक की सूची सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई। इस मामले में निगम के सूचना अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि उनके पास मौजूद रिकॉर्ड में इस तरह कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। ऐसे में निगम के द्वारा परकोटे क्षेत्र में संचालित व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता ही बरती जा रही है। जबकि पुरोहित जी का कटला हो या उसके भीतर डिग्गी कटला या फिर बाबा हरिश्चंद्र मार्ग, नाहरगढ़ रोड, खजाने वालों का रास्ता, भिंडों का रास्ता सहित प्रमुख बाजारों में आवासीय परिसरों को व्यावसायिक कॉम्पलेक्सों में तब्दील कर दिया गया। जिनके खुद के पास पार्किंग के नाम पर कोई जगह नहीं है। जिससे शहर में भीड़ दिनों दिन बढ़ती जा रही है। वहीं स्थानीय नेताओं व रसूखदारों की मिलीभगत के चलते निगम उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर खुद के पास उनका रिकॉर्ड तक सहेज नहीं पा रहा है।

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