जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए वन्य जीवों का संरक्षण तथा वनों का विस्तार किया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश में वन क्षेत्र का विस्तार करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय शुरू की गई सामाजिक वानिकी योजना को जीवन्त किया जाए, क्योंकि वृक्षारोपण के अभियान को अधिक से अधिक जनसहभागिता से ही सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने तीन माह में नई वन नीति तैयार करने के निर्देश भी दिए।
गहलोत गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर वन विभाग की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आमजन वनों का महत्व समझेगा और वृक्षारोपण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित होगी तो हम वनों के विस्तार के लक्ष्य को जल्द प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए वन विभाग के अधिकारी जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर गांव-ढाणी तक अधिक से अधिक संख्या में वृक्ष लगाने और उनकी देखभाल करने का माहौल बनाएं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग एवं एनजीओ आदि का सहयोग लेकर वृक्षारोपण कार्यक्रम को व्यापक रूप दिया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए नर्सरी विकास पर विशेष जोर दिया जाए। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर लोगों को नर्सरी तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे वृक्षारोपण के लिए आवश्यकता के अनुरूप पौधे उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद विभाग के साथ समन्वय कर औषधीय गुणों वाले पौधे लगाए जाएं। इससे विभाग को अतिरिक्त आय भी होगी।
गहलोत ने निर्देश दिए कि विलायती बबूल (जूलीफ्लोरा) को हटाकर उनके स्थान पर स्थानीय प्रजाति के पौधे लगाने के कार्य को गति दी जाए। उन्होंने कहा कि गोचर भूमि से भी विलायती बबूल हटाया जाए। इसके लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के साथ बैठक कर योजना तैयार की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में वनों की उत्पादकता बढ़ाने, इमारती लकड़ी, बांस एवं लघु वन उपज के उत्पादन में वृद्धि के लिए इस वर्ष के बजट में ‘राजस्थान राज्य वन विकास निगम’ गठित करने की घोषणा की गई थी। वन विभाग तीन माह के अन्दर यह निगम गठित करे। उन्होंने कहा कि विभाग लघु वन उपज का लाभप्रद मूल्य दिलाया जाना भी सुनिश्चित करे।

गहलोत ने रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व की समीक्षा करते हुए कहा कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर बेहद गंभीर है। वन विभाग बाघ सहित अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में किसी तरह की कोताही नहीं बरते। उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के स्वास्थ्य की उचित देखभाल के लिए विशेषज्ञ वन्यजीव चिकित्सकों की कमी को दूर किया जाए।

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