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नई दिल्ली। बड़े उद्योगपति किस कदर देश के बैंकों से कर्जा लेकर उन्हें खाली कर रहे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है विजय माल्या का उदाहरण तो सबके सामने है ही जो बैंकों का कर्जा डकार कर विदेश भाग गया है। ऐसे ही और भी लोग हैं जिन्होंने बैंकों से हजारों करोड़ रुपयों का लोन लिया और वापस नहीं चुकाया जिस कारण अब रिजर्व बैंक को मजबूरन ठोस कदम उठाने का मजबूर किया है जो उन्हें पहले ही उठा लेना चाहिए। जी हां रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने देश के सभी कॉमर्शियल बैंकों को 26 डिफॉल्टरों की दूसरी सूची भेजी है। रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि इन सभी डिफॉल्टरों को दिवालिया घोषित करने से पहले इनसे कर्ज वसूली की प्रक्रिया शुरू करे। आरबीआई ने कॉमर्शियल बैंकों से कहा है कि वह पहले अपने नियम के तहत इन डिफॉल्टरों के कर्ज की वसूली करने की कोशिश करें। ऐसा न हो पाने पर सभी डिफॉल्टरों को बैंकरप्सी कानून के तहत दिवालिया घोषित करें।

कर्ज वसूलने के लिए केन्द्रीय बैंक ने सभी बैंकों को 13 दिसंबर तक का समय दिया है। वहीं दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए बैंकों को 31 दिसंबर तक नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में बैंकरप्सी कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने को कहा है। रिजर्व बैंक की इस दूसरी लिस्ट में शामिल की गई कंपनियां खासतौर पर पावर, टेलिकम्यूनिकेशन, स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर से हैं। केन्द्रीय बैंक ने अपनी सूची में उन कंपनियों को शामिल किया है जिनपर 30 जून तक किसी बैंक के कर्ज का 60 फीसदी बकाया है। आरबीआई की सूची में वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और जयप्रकाश एसोसिएट बड़े डिफॉल्टरों के तौर पर शामिल हैं। इन दोनों कंपनियों पर 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक का नॉन परफोर्मिंग असेट (बैड लोन) है। इससे पहले जून 2017 में रिजर्व बैंक ने 12 डिफॉल्टरों की पहली सूची जारी की थी। इन 12 कंपनियों में बैंकिंग क्षेत्र का लगभग 25 फीसदी का बैड लोन है। इनमें एस्सार स्टील, भूषण स्टील, एबीजी शिपयार्ड, इलेक्ट्रोस्टील और अलोक इंडस्ट्रीज बड़े लोन डिफॉल्टर के तौर पर शामिल हैं। गौरतलब है कि अब इन कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए केन्द्रीय बैंक ने निर्देश दिया है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक द्वारा डिफॉल्टर की दोनों सूची में उन कंपनियों को शामिल किया गया है जिनका कम से कम 5000 करोड़ रुपये का लोन बकाया है।

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