जयपुर। जम्मू-कश्मीर की हसीन वादियों के बीच अमरनाथ की गुफा में विराजे बाबा बर्फानी (अमरनाथ) के मंदिर की जानकारी प्राचीन धर्म ग्रंथों से मिलती है। इस मंदिर के बारे में यह कहा जाता है कि यह 5 हजार साल पुराना मंदिर है। हालांकि इस पवित्र गुफा की खोज कैसे हुई, इसके कोई प्रमाणिक सबूत तो नहीं मिलते। फिर भी एक कहानी प्रचलित है। इस कहानी को ही लोग स्वीकारते भी है।

कहा जाता है कि श्रीनगर से 145 किलोमीटर दूर अमरनाथ की इस पवित्र गुफा की खोजा एक मुस्लिम गडरिये ने 177 साल पहले की थी। बूटा मलिक नामक यह कश्मीरी मुस्लिम गडरिया बकरियां चराते हुए जंगल में चले गया। जहां उसे एक साधु मिला। उस साधु ने मलिक को आग तापने के लिए अंगीठी दे दी। जिसमें कोयला था। मलिक जब उसे लेकर अपने घर पहुंचा तो उसे नजर आया कि अंगीठी में पड़ा कोयला तो सोना बन चुका था। इस पर वह अगले दिन वापस साधु के पास गया, लेकिन उसे वहां साधु के बजाय गुफा मिली। उसने यह बात गांव में आकर बताई तो लोग यहां आकर पूजा अर्चना करने लगे।

-150 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है पवित्र गुफा
बाबा अमरनाथ की यह पवित्र गुफा 150 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह करीब 90 फीट लंबी है। यह पवित्र शिवलिंग मई से अगस्त के बीच में आकृति लेता है। बाद में स्वयं पिघल जाता है। इस गुफा में बर्फ की अलग-अलग 4 आकृतियां हैं। जिन्हें वर्षों से हिंदू देवी-देवताओं के तौर पर पूजा जा रहा है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान शिव यहां बर्फ के शिवलिंग के रुप में स्थापित हुए थे। यहां भगवान शिव के अतिरिक्त भगवान गणेश, पार्वती व काल भैरव की पूजा भी की जाती है।

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