नई दिल्ली। लीबिया में चिकित्सक के.राममूर्ति आईएसआईएस के चंगुल से छूट गए हैं। कई दिनों तक वे आईएस के कब्जे में रहे। ये दिन इनके लिए किसी नरक से कम नहीं थे। भारत आने पर उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी, एनएसए और दूसरे अफसरों का आभार जताते हुए कहा कि उनकी वजह से उसकी जान बच पाई। डॉ. राममूर्ति ने कहा कि आईएसआईएस के आतंकी बेहद खतरनाक लोग है। उन्हें धर्म-दीन, इंसानियत से कोई मतलब नहीं है। वे सिर्फ आतंक फैलाना चाहते हैं और इस्लामी हुकूमत चाहते हैं। आईएस के चंगुल के दौरान तीन बार उसे गोली मारी गई, पैरों में। फिर ऑपरेशन थियेटर में जबरदस्ती सर्जरी करने के लिए भी मजबूर किया। यहीं नहीं जबरदस्ती वुजू और नमाज पढ़ानी सिखाई। वे हिंसक वीडियो भी दिखाएं, जिनमें आईएसआईएस की क्रूरता दिखाई पड़ती है। 18 महीने पहले डॉ. राममूर्ति को लीबिया से किडनैप कर लिया। बाद में भारत सरकार के प्रयासों से 14 फ रवरी को उनकी रिहाई हो पाई। राममूर्ति ने कहा कि आतंकियों ने मुझसे मदद मांगी तो मैंने इंकार कर दिया था। इस पर वे मुझे उठा ले गए। पहले इन्होंने सिर्ते शहर की जेल में रखा। बाद में किसी अंडरग्राउण्ड जेल ले गए। वहां आईएस आतंकियों ने इस्लाम और उनके तौर तरीकों के बारे में बताया। वुजू करना, नमाज पढऩा बताया। कई दिनों तक यहीं सिलसिला चलता रहा। वे साथी आतंकियों के घायल होने पर ऑपरेशन करने के लिए जोर देते थे, लेकिन सर्जरी का अनुभव नहीं होने के कारण इंकार कर देता था। जेल में ही दो ओर भारतीय कैदी भी थे। कई जेलों में मुझे रखा और शारीकि व मानसिक यातनाएं दी। आईएस संगठन में दस साल से 70 की उम्र तक के आतंकी है, जिन्हें सुसाइड बमर व हमले की ट्रेनिंग दी जाती है। राममूर्ति ने यह भी बताया है कि आईएसआईएस ने भारत में अपना दबदबा कायम रखने और आतंकी गतिविधियों के लिए खास प्लान तैयार कर रखा है। आईएस के अधिकांश लड़ाके युवा और पढ़े-लिखे हैं। दुनिया में मुस्लिम शासन की विचारधारा को फैलाने के लिए हर तरह के मंसूबे पाल रखे हैं, इस संगठन ने।

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