नई दिल्ली । स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड के भारत दौरे से उम्मीद जगी है कि कालेधन पर अब लगाम लगेगी और स्विस बैंकों में जो भारत का काला पैसा इक्ट्ठा हो रहा है। या पहले से पड़ा है वह किसका है यह पता चल सकने के आसार बनने की उम्मीद दिखने लगी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपनी पिछली स्विटजरलैण्ड यात्रा के दौरान कालेधन के मामले को लेकर काफी सजग थे और उन्होंने इस पर अंकुश लगाने तथा इस पैसे को वापस भारत लाने के प्रयास भी किए और वह प्रयास अब भी जारी है। खुशी की बात यह है कि कालेधन पर स्विट्जरलैंड भारत की मदद करने के लिए तैयार हो गया है। स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं।

स्विट्जरलैंड और हमारे देश के बीच सूचनाओं के आॅटोमेटिक एक्सचेंज पर समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत 2019 से पहले कालेधन, विदेश में जमा पैसा और स्विट्जरलैंड में प्रॉपर्टी की खरीददारी से जुड़ी सूचनाओें की अदला बदली शुरू हो जाएगी। रेल हादसों से उबरने के लिए भी भारत स्विट्जरलैंड से मदद लेने जा रहा है। स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लिउथर्ड बुधवार से तीन दिवसीय भारत दौरे पर हैं। डोरिस की इस यात्रा के दौरान भारत और स्विट्जरलैंड के बीच व्यापार और निवेश संबंधों में मजबूती लाने सहित द्विपक्षीय संबंधों को लेकर चर्चा हो रही है। स्विस राष्ट्रपति के साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और स्विट्जरलैंड की बड़ी कंपनियों का कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया है। मोदी और डोरिस के बीच बातचीत के दौरान भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा किए गए कालेधन का मुद्दा उठा। स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सूचनाओं के आॅटोमेटिक एक्सचेंज से जुड़ा बिल उनके संसद में इस साल के अंत तक पास हो जाएगा। ऐसे में 2019 से सूचनाओं का आदान प्रदान? हो सकेगा।

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