नई दिल्ली. पत्रकारिता पर लंबे अरसे बाद संसद में बहस हुई। वो भी जदयू के पूर्व अध्यक्ष व सांसद शरद यादव की पहल पर। उन्होंने बुधवार को राज्यसभा में देश में पत्रकारिता के नाम पर चल रहे गोरखधंधे पर आवाज मुखर की। कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार में मीडिया मालिक गुलामी कर रहे हैं। जो पत्रकार सरकार के खिलाफ लिखने का साहस कर रहा है तो उसे नौकरी से ही निकाल दिया जा रहा। चौथा खंभे पर पहरा बैठा दिया गया है। पत्रकारिता इमजरेंसी का सामना कर रही है। शरद यादव राज्यसभा में पूरी रौ में दिखे। बोले कि आज मीडिया के मालिक मूल पेशा पत्रकारिता छोड़कर बाकी सारे धंधे कर रहे हैं। अब वे शुद्ध बिजनेसमैन बन गए हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे पत्रकारों के पेशे को दूषित करने का काम हो रहा है। सरकारों से सांठगांठ कर जमीनें खरीदकर उद्योगपति बन रहे हैं। जुगाड़ का आलम यह है कि वे यहां राज्यसभा में घुस जा रहे हैं। बड़ी बुरी स्थिति है। शरद यादव ने इस दौरान पत्रकारों के वेतनमान को लेकर गठित मजीठिया कमेटी की सिफारिशों को भी अमलीजामा पहनाने की मांग की। कहा कि मीडिया मालिक आम पत्रकारों का शोषण कर रहे हैं, लिहाजा सिफारिशें लागू होनी चाहिए।

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