Ayodhya-case

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में अपीलों की सुनवाई पांच दिसंबर से शुरू करेगा और इसमें किसी तरह के स्थगन की इजाजत नहीं दी जाएगी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अब्दुल नसीर की पीठ ने संबद्ध पक्षों से कहा कि वे 12 हफ्ते के अंदर आठ भाषाओं में मौजूद उन दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद करें, जिन पर उनकी दलील का दारोमदार हो सकता है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विवाद के निपटारे के लिए रिकार्ड किए गए साक्ष्यों का अनुवाद दस हफ्तों में करे। अदालत ने कहा कि आठ भाषाओं में मौजूद एक लाख पन्नों की सामग्री के अंग्रेजी में अनुवाद के लिए उसके द्वारा तय समय अंतिम है और अब कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या के इस भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई के लिए पीठ बनाई है। उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित भूमि को संबद्ध पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांट दिया जाए। उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जल्द से जल्द सुनवाई के लिए आग्रह किया था जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े ने मामले की तैयारी के लिए समय मांगा था क्योंकि दस्तावेज बेहद ज्यादा हैं। मामले में मध्यवर्ती अर्जी लगाने वाले भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने इसकी जल्द सुनवाई का आग्रह किया और पीठ से कहा कि उनके पूजा के अधिकार पर ध्यान दिया जाए। लेकिन, पीठ ने कहा कि वह पहले याचिकाओं को सुनेगी।

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