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जयपुर। राजस्थान में लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट पर भाजपा की करारी हार क्या हुई कि प्रदेश के सियासी समीकरण तेजी से बदलने लगे है। इस हार से भाजपा का ग्राफ जितनी तेजी से गिरा, उतनी ही तेजी से कांग्रेस जोश से भर गई। इन तीन सीटों पर हार से यह भी सामने आया कि कार्यकर्ता भी पार्टी व सरकार से खुश नहीं है। यही वजह है कि अजमेर, अलवर और मांडलगढ सीट के चुनाव में कार्यकर्ता घरों में ही रहा। काम नहीं होने और सुनवाई नहीं होने से कार्यकर्ता सत्ता और संगठन से नाराज है। तीन सीटों की हार संंबंधी रिपोर्ट में यह सामने आ चुका है कि कार्यकर्ताओं की नाराजगी और चुनाव प्रचार में नहीं लगने से पार्टी को हार झेलनी पड़ी। इस रिपोर्ट के बाद भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व को सकते में ला दिया है।

भाजपा प्रदेश इकाई की निष्क्रियता और सरकार के प्रति जनता व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को देखते हुए केन्द्रीय नेतृत्व ने राजस्थान पर खुद फोकस शुरु कर दिया है। चर्चा है कि केन्द्रीय नेतृत्व ने राजस्थान की पूरी रिपोर्ट तैयार करवाई है, साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की स्थिति के संबंध में एक गुप्त सर्वे भी करवाया है, जिसमें सामने आया है कि चुनाव में पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। अगर स्थिति संभाली नहीं तो पार्टी को हार का सामना करना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने राजस्थान की राजनीति में सीधा दखल देना शुरु कर दिया है। राज्यसभा की तीन सीटों पर भी प्रत्याशी चयन आलाकमान के हाथ में रहा। अब चर्चा है कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने और चुनाव तैयारियों को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान आने वाले है। वे यहां लम्बा प्रवास करके पार्टी गतिविधियों में तेजी लाएंगे, साथ ही कार्यकर्ताओं व नेताओं की नाराजगी दूर करके उन्हें पार्टी से जोड़ने के अभियान में जुटेंगे।

सरकार के कामकाज में भी दखल दे सकते है। अमित शाह संभवतया: जून में राजस्थान में आ जाएँगे। उनके आगमन को देखते हुए प्रदेश पदाधिकारियों ने उनके लिए बंगला भी ढूंढना शुरु कर दिया है, जो भाजपा मुख्यालय के नजदीक हो और उनका स्टाफ भी वहां ठहर सकता हो। वे यहां रहकर ना केवल चुनावी तैयारियों में लगेंगे। जनता व कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए कार्यक्रम भी तय करेंगे। साथ ही किसान, युवाओं और जनता से जुड़े वे बड़े मुद्दे और लंबित योजनाओं का हल करवाएंगे, जिनकी वजह से सरकार और पार्टी के प्रति नाराजगी रही है। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव में पार्टी की फतह के लिए केन्द्रीय नेतृत्व भी पूरी तरह से एक्टिव हो गया है। इनकी सक्रियता के साथ राजस्थान में बड़े नेताओं और मंत्रियों के दौरे होंगे, साथ ही प्रदेश इकाई की गतिविधियों में भी तेजी आएगी। अमित शाह के जयपुर प्रवास के बाद सत्ता और संगठन की गतिविधियां उनकी निगरानी में रहने से पार्टी को फायदा मिल सकता है। वहीं विपक्ष कांग्रेस को सत्ता में वापिस के लिए अलग तरह से आक्रामक रणनीति बनानी होगी।

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