Temple of Baiji
Temple of Baiji

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने बडी चौपड़ पर स्थित बाईजी का मंदिर को पुजारी का निजी मंदिर मानने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने मंदिर को सरकारी संपत्ति मानते हुए सरकार को दो महीने में मंदिर का कब्जा देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने मामले में मूल याचिकाकर्ता दिवंगत पुजारी बंशीधर के कानूनी वारिस पुरुषोत्तम भारती व अन्य पर एक लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है। अदालत ने मंदिर का कब्जा पुजारी को देने के अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए अधीनस्थ अदालत के आदेश को बहाल रखा है। न्यायाधीश प्रकाशचन्द्र गुप्ता ने यह आदेश बंशीधर की याचिका को निपटाते हुए दिए हैं।

मामले के अनुसार सरकार ने बंशीधर को 1954 में मंदिर का पुजारी नियुक्त किया था। देवस्थान विभाग ने 1958 में बंशीधर का तबादला दूसरे मंदिर में कर दिया। इस पर बंशीधन ने मंदिर को अपने पूर्वजों का बताकर दावा किया। जिसे निचली अदालत ने 27 जुलाई 1977 को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ बंशीधर के वारिसों ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने उन्हें कब्जे वाले एक कमरे से बेदखल नहीं करने के आदेश दिए। वहीं 1996 में दूसरी स्टे अर्जी पर हाईकोर्ट ने मंदिर को बंशीधर के वारिसों के सुपुर्द करने के निर्देश दिए। अदालत ने 19 नवंबर 1997 को अपील स्वीकार करके अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और बंशीधर के वारिसों को मंदिर का मालिकाना हक दे दिया। इस आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी।

इस पर खंडपीठ ने तीन फरवरी 2017 को एकलपीठ के 19 नवंबर 1997 के आदेश को रद्द कर दिया और दोनों पक्षों की सहमति से मामले में वापिस सुनवाई के लिए एकलपीठ को भेज दिया था। इस आदेश में खंडपीठ ने सरकार को कब्जा दिलाने वाले अंतरिम आदेश पर वापिस लेने या रिव्यू की अर्जी पेश करने की भी छूट दी थी। एकलपीठ ने मंदिर के मालिकाना हक के संबंध में दिए गए अधीनस्थ अदालत के 27 जुलाई 1977 के आदेश को बहाल रखा है और मंदिर का कब्जा दिलाने वाले हाईकोर्ट के 1996 के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने दिवंगत बंशीधर के कानूनी वारिस पुरुषोत्तम भारती व अन्य पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए दो महीने में मंदिर का कब्जा सरकार को सौंपने के आदेश दिए हैं।

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