– मोदी राज में गुलामों की तरह विधायकों की खरीद-फरोख्त की मंडी लग गई
जयपुर. मध्यप्रदेश के पूर्वमंत्री और कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने महंगाई और सरकारें गिराने के मुद्दे पर केंद्र सरकार और बीजपी को निशाने पर लिया है। जीतू पटवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री हमारा है, देश हमारा है लेकिन दुख की बात यह है कि सबसे झूठा प्रधानमंत्री भी हमारा ही है। अगर महंगाई इसी रफ्तार से चली तो भारत के हालात भी श्रीलंका जैसे हो जाएंगे। बीजेपी के अंधे लोगों को महंगाई नही दिख रही है। जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत कर रहे थे। पटवारी ने कहा कि मोदी उस समय कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने जहां महंगाई छोड़ी वहां ले आओ, तो अब हमारा सवाल है कि मनमोहन सिंह के समय महंगाई जहां थी प्रधानमंत्री उसे वहां तक तो लेकर जाएं। जीतू पटवारी ने कहा- नरेंद्र मोदी के रहते इस देश में विधायकों की मंडी क्यों लग गई? आदिकाल में गुलाम खरीदे और बेचे जाते थे, उसी तरह विधायकों की मंडी लगा दी। आदिकाल में इंसान खरीदे बेचे जाते थे, बाद में सभ्य समाज में इंसानों की खरीद बिक्री पर रोक लगानी पड़ी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता जनप्रतिनिधियों को चुनकर भेजती है, विधाायक और सांसद इसलिए चुने जाते हैं कि वे श्रेष्ठ होते हैं। नरेंद्र मोदी के आने के बाद 400 से ज्यादा विधायकों ने दल बदले, जिनमें कहीं 50 करोड़, कहीं 35 करोड़, कहीं 22 करोड़ में विधायकों की सौदेबाजी हुई। 11 राज्यों में यह खेल चला। जीतू पटवारी ने कहा-देश में पिछले 45 साल के रिकॉर्ड को देखें तो आज सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। देश का 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार है। पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में भी आटे तेल पर टैक्स नही है, हमारे देश मे लग रहा है। क्या कारण है कि डॉलर के मुकाबले रुपया मोदी की उम्र से बड़ा हो गया है। पटवारी ने अग्नवीर स्कीम पर सवाल उठाते हुए कहा कि चार साल बाद अग्निरक्षक के तौर पर भर्ती होने वाले जब बाहर आएंगे तो क्या हाल होंगे? जब सामान्य लोग संविदाकर्मियों के आंदोलन बड़े होते है तो अग्निवीर बाहर आएंगे तो क्या होगा। यह स्कीम देशहित में नहीं है। जीतू पटवारी ने कहा-यूपीए सरकार के खिलाफ बीजपी ने एक प्रोपेगेंडा चलाकर टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के आरोप लगाकर माहौल बनाया गया। आज तक घोटाला साबित नहीं कर पाए। आज बीजेपी के राज में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। केंद्र सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन लेने की जगह विपक्ष के नेताओं पर ही सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के छापे डालकर दबाव बना रही है।

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