Sanskrit language, Rajpal Singh
Sanskrit language, Rajpal Singh

संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रसंघ कार्यालय उद्घाटन कार्यक्रम
जयपुर। भारतीय संस्कृति की स्रोतभाषा संस्कृत देश को भाषाई तथा सामाजिक एकता में पिरोने का मजबूत सूत्र है। भारतीय एवं अनेक विदेशी भाषाएं संस्कृत का आस-पड़ोस है। लेकिन राजनीति के चलते संस्कृत का विरोध किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बात बुधवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रसंघ कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में पूर्व मंत्री श्री राजपाल सिंह शेखावत ने कही। उन्होंने कहा संस्कृत में तकनीकी, गणित, विज्ञान और प्रबंधन के महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं। इसमें आयुर्वेद, गणितीय प्रणाली, संगीत, शिल्प शास्त्र, वास्तु शास्त्र, कृषि शास्त्र, अर्थशास्त्र, खगोल विज्ञान, चिकित्सा एवं योग समेत कई विधाएं हैं, जो मानव समाज के लिए उपयोगी हैं। यह ज्ञान-विज्ञान की उद्गम भाषा है, जिसमें दर्शन, अध्यात्म और मानवतावादी साहित्य का खजाना है। भारत में जितनी संस्कृतियां जन्मी और पली-बढ़ी, संस्कृत उनकी आधार भाषा है। संस्कृत का दायरा किसी पंथ, परंपरा या विधान का अनुगामी नहीं है, यह सभी के लिए है।

संस्कृत के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है। यह विश्वविद्यालय देश-विदेश के संस्कृत शोधार्थियों का केंद्र है। इस अवसर पर निदेशक डॉ. सुभाष शर्मा और छात्र कल्याण संकाय अधिष्ठाता डॉ. कैलाश शर्मा समेत अनेक शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद थे। इससे पहले श्री शेखावत ने छात्रसंघ अध्यक्ष मुकेश उपाध्याय एवं महासचिव कुलदीप सिंह के कार्यालय का उद्घाटन किया।

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