Padmavati film stings emerged in Rajput society
जयपुर। विवादों में आई संजय लीला भंसाली की पद्मावती फिल्म की शूटिंग के लिए पैसों के लेन-देन के एक स्टिंग आॅपरेशन और आरोप-प्रत्यारोप ने नया मोड ले लिया है। इस स्टिंग आॅपरेशन से राजस्थान में राजपूत समाज के वरिष्ठ नेताओं की आपसी फूट तो सामने आई है, साथ ही इतिहास के बहाने फिल्म और फिल्मकार पर हुए हमले की हकीकत से पर्दे उठने उठ रहे हैं। स्टिंग आॅपरेशन में दावा किया गया है कि श्री राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेडी और मुम्बई संयोजक उम्मेद सिंह ने  पद्यावती फिल्म की शूटिंग के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मांगे गए। किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन में सुरक्षा देने का वादा किया। हालांकि स्टिंग के सामने आते ही दोनों राजपूत नेताओं ने इसका खंडन किया है। सुखदेव गोगामेडी ने पत्रकारों को कहा है कि उन्हें बदनाम करने के लिए यह षड्यंत्र किया है। स्टिंग आॅपरेशन को गलत तरीके से पेश किया है।
पद्मावती फिल्म का कल भी विरोध कर रहे थे और आगे भी करेंगे। राजस्थान में इसका प्रदर्शन नहीं होने देंगे। गोगामेडी ने दावा किया कि हमसे औरंगजेब फिल्म की शूटिंग के संबंध में बाउंसर और सुरक्षाकर्मी मांगे थे। पद्मावती फिल्म का कोई जिक्र नहीं किया गया। गोगामेडी ने कहा कि न्यूज चैनल ने तथ्य को तोड-मरोड़कर हमारा बयान दिया है। हम चैनल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करवाएंगे। उधर, इस स्टिंग आॅपरेशन के बाद राजपूत समाज के नेताओं के एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरु हो गई है। सुखदेव सिंह गोगामेडी ने इस स्टिंग आॅपरेशन को षड्यंत्र बताया है, साथ ही राजपूत नेता और करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्र कालवी का नाम लेते हुए कहा कि वे पहले फिल्मों को विरोध करते हैं और फिर पैसे लेते हैं। इस पर कालवी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि कौन सही है और कौन गलत, यह सब कैमरे में दिख रहा है। हालांकि बाद में गोगामेडी ने पत्रकारों के सामने फिर सफाई दी कि उन्होंने लोकेन्द्र सिंह कालवी को पैसे लेते नहीं देखा है। उधर, करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महिपाल सिंह ने भी इस मामले में कहा कि लोकेन्द्र सिंह कालवी का नाम लेकर समाज और युवाओं में फूट डाली जा रही है। इसे समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। पद्मावती का पहले भी विरोध था और आगे भी रहेगा।

LEAVE A REPLY