जयपुर । ओबीसी आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने और गुर्जर सहित अन्य जातियों को अलग से 5 प्रतिशत आरक्षण देने वाले ओबीसी आरक्षण विध्ोयक-2017 के खिलाफ दायर जनहित याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्गजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने सार हीन मानते हुए निस्तारित कर दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि जब तक प्रकरण उच्चतम न्यायलय में लंबित है, तब तक कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जाए।

याची गंगासहाय की याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर हाईकोर्ट को बताया कि सरकार एक प्रतिशत ही अतिरिक्त आरक्षण दे रही है। जिससे आरक्षण की सीमा कुल 5० प्रतिशत आरक्षण के भीतर है। इसलिए याचिका को खारिज किया जाए। याचिका में कहा गया था कि नये एक्ट के जरिये आरक्षण को बढ़ाकर 54 प्रतिशत कर दिया गया है, जो सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी व एम नागराज के फैसले का उल्लंघन है। वर्ष 2०15 में भी आरक्षण 5० प्रतिशत से अधिक किया गया था, जिसे हाईकोर्ट रद्द कर चुका है। हाईकोर्ट के आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में स्टे दे रखा है।

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