नई दिल्ली। 16 दिसंबर 2012 की रात देश की राजधानी दिल्ली में एक जघन्य कांड घटित हुआ। इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस कांड की प्रक्रिया ऐसी रही कि देश में एक जनआंदोलन खड़ा हो गया। क्या युवा और क्या बुजुर्ग हर कोई दुष्कर्म पीडि़ता को इंसाफ दिलाने हाथों में मोमबत्तियां थाम सरकार पर दबाव बनाने में लगा रहा। लोग बलात्कार से जुड़े कानूनों को सख्त बनाने की मांग कर रहे थे। आंदोलन को जोर पकड़ता देख सरकार भी हरकत में आई और कई अहम फैसले लेने के साथ ही निर्भया फंड की स्थापना की। निर्भया कांड के बाद देश में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला तो युवा शक्ति को उसकी पहचान मिली। फिर भी देश में चार बड़े बदलाव तो साफ देखने को मिले।

-सख्त हुआ कानून, पीडि़ताओं को राहत
इस कांड के बाद देश में इस तरह का कृत्य करने वालों के खिलाफ कानूनों को कठोर बनाने की मांग ने जोर पकड़ा तो महिला यौन उत्पीडऩ से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई, उनमें फेरबदल कर सख्त बनाया दिया गया। कानून के सख्त होने से देशभर में महिलाओं और दुष्कर्म पीडि़ताओं को लाभ मिलता नजर आ रहा है।

-नाबालिगों पर भी कानून सख्त
जिस समय यह वारदात घटी, उस दौरान एक दोषी नाबालिग भी था। नाबालिग होने की वजह से वह सजा-ए-मौत से बच गया। ऐसे में इस दुष्कर्म कांड के बाद 16 से 18 साल की आयु वाले अपराधियों को भी वयस्क अपराधियों की तरह देखने और सजा देने का फैसला लिया गया। इस बिल को संसद में स्वीकृति प्रदान कर दी गई। जिसके बाद 16 से 18 आयु वर्ष के अपराधियों को भी अब व्यस्क अपराधियों की तरह ही देखने व सजा देना शुरू कर दिया गया।

-निर्भया फंड ने जगाया जीने का जज्बा
निर्भया कांड के बाद केन्द्र सरकार जागी तो निर्भया फंड की स्थापना की गई। इस फंड में सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया। इस फंड से दुष्कर्म पीडि़तों और उत्तरजीवियों के राहत और पुनर्वास के लिए बनाया गया था। इसमें यह प्रावधान रखा गया कि प्रत्येक राज्य सरकार केन्द्र के समन्वय से दुष्कर्म सहित अपराध की पीडि़ताओं को मुआवजे के उद्देश्य से फंड उपलब्ध कराएगा। इसके तहत देश में 20 राज्यों और सात संघ शासित प्रदेशों ने पीडि़त मुआवजा योजना लागू कर दी है। वहीं महिला और बाल विकास मंत्रालय ने दुष्कर्म पीडि़ताओं और कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्वाधार और अल्पावास गृह योजना भी शुरू की गई। इस फंड से महिला सुरक्षा के लिए खासे इंतजाम किए जाने का प्रावधान भी है।

-हौंसला बढ़ा तो बदला माहौल
यूं तो अब दुष्कर्म या यौन उत्पीडऩ के मामलों में पीडि़ताओं व परिवार की पहचान छिपाई जाती रही है। लेकिन इस कांड के बाद माहौल बदला। पीडि़त खुद आगे आकर लोगों से आह्वान करने लगे और गुनहगारों को सजा दिलाने के लड़ाई लडऩे लगे। निर्भया केस में उसके माता पिता ने खुद आगे आकर इंसाफ की लड़ाई लड़ी। वहीं कोर्ट का माहौल बदला। रेप पीडि़ताओं को लेकर संवेदनशीलता बढ़ी तो उनके साथ हुए अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठने लगी।

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