जयपुर. मुबंई, दिल्ली, चंडीगढ़ के अलावा कई शहर नाइट आउट के लिए फेमस है। यहां के मार्केट में रात को भी टूरिस्ट घूमते और शॉपिंग करते नजर आते है। इसी तर्ज पर पिंकसिटी जयपुर में भी नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने की पहल की गई थी। इसी कड़ी में जल महल की पाल पर डेमो के तौर पर नाइट बाजार की सोमवार रात को शुरूआत की गई। 525 मीटर की पाल पर कलरफुल लाइटिंग के बीच 150 के करीब दुकानों पर हैंडी क्राफ्ट, जयपुरी रजाई, सांगानेरी बैडशीट, ट्रेडिशनल ज्वेलरी, पीतल, मिट्टी और तांबे के बर्तन, ब्लू पॉटरी, जयपुरी जूतियां और बंदिनी की साड़ियों की खरीददारी कर सकते है। शॉपिंग के साथ ही राजस्थानी, पंजाबी और साउथ इंडियन फूड का स्वाद भी ले सकते है। इसके अलावा राजस्थानी कल्चर को बढ़ावा देने के लिए कलाकार फोक डांस करते नजर आएंगे। जल महल की पाल पर लगे नाइट बाजार में सोमवार रात को विदेशी टूरिस्ट भी पहुंचे। रात 7 से 1 बजे तक 40 खाने की और 110 स्टॉल हैंडी क्राफ्ट, लाइफ स्लाइट और फैशन से दुकानें लगी। परिवार के साथ पहुंचे लोगों ने कल्चर नाइट को काफी इंजॉय किया। जादू का खेल, राजस्थानी डांस, कठपुतली डांस, राजस्थानी लोक गीत, ढोल-नगाड़े के साथ राजस्थानी फोक डांस में कालबेलिया डांस, भवाई डांस, चरी डांस, कच्ची घोड़ी और पंजाबी ढोल लोगों को खूब भाया। नाइट बाजार में साड़ी से लेकर रजाई, हैंडी काफ्ट और डेकोरेशन के सामान की भी दुकानें लगी। ब्लू पॉटरी एंड मार्बल आर्ट सेंटर के मालिक विष्णु ने बताया कि ब्लू पॉटरी बनाने का काम उनके दादाजी किया करते थे। उसके बाद उनके भाई ने इस काम को फैमिली बिजनेस बनाने का सोचा। उनका कहना है कि, यह हमारे जयपुर का आर्ट है। इसे ऐसे ही खत्म होने नहीं दे सकते। अब पूरा परिवार साथ मिलकर यही काम करता है।
विष्णु और उनका परिवार 40 साल से पॉटरी बनाने का काम कर रहे है। क्वार्ट्ज स्टोन को पीस कर मुल्तानी मिट्टी, गम, रॉक साल्ट को मिला कर उसे शेप दिया जाता है। उस बर्तन पर डिजाइन बनाकर और कलर करने के बाद उससे भट्टी में पकाया जाता है। पकाने के बाद उस पर सिरेमिक ग्लेज लगाया जाता है शाइनिंग के लिए। विष्णु बताते हैं एक पॉटरी को बनाने में 40 दिन का समय लगता है। ब्लू पॉटरी में फ्रिज पर लगाने वाली मैग्नेट से लेकर फ्लावर पॉट तक सब बनाया जाता है। यहां बजार में 80 रुपए से लेकर लगभग 6 हजार रुपए तक के पॉटरी के सामान मिल रहा है। फैबमेट एक मेकर्स लैब है। जिसके मेंबर्स अपना मंडाला आर्ट लेकर नाइट बाजार में पहुंचे। इनका टारगेट क्रिएटिव लोगों को अपने साथ जोड़ना रहा। इस आर्ट फॉर्म में यह लोग आम जनता के साथ जुड़कर उनकी मनचाही डिज़ाइन को एमडीएफ और थ्रीडी डिज़ाइन की मशीनों की मदद से एक रूप देते है। इस मंडला आर्ट का इस्तेमाल करके वह डेकोरेशन का सामान, पेंटिंग्स और ज्वैलरी भी बनाते हैं। जिन पर आप आगे भी अपनी क्रिएटिविटी कर सकते हैं। जैसे आप ज्वैलरी पर कलर कर सकते हैं या अपने मन चाहे तरीके से डेकोरेट कर सकते हैं। राजस्थानी कलाकारों ने कहा कि राजस्थानी कल्चर व टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नाइट बाजार एक अच्छा इनिशिएटिव है। जयपुराइट्स ने ट्रायल बेसिस पर किए इस इवेंट को काफी पसंद किया है। इस तरह के आयोजन जयपुर में होते रहने चाहिए। ऐसे इवेंट से हमें अपने रीजनल कल्चर को लोगों तक पहुंचाने का मौका मिलेगा साथ ही आमदनी भी बढ़ेगी। नाइट बजार का ये एक ट्रायल रन था। अब हर शनिवार और रविवार को यह बाजार लगाया जाएगा।

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