-बाल मुकुन्द ओझा
आज देश कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1965 और 1971 के युद्ध के बाद यह
तीसरा अवसर था जब भारतीय शूरवीरों ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। आजादी के बाद से ही
पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ विष उगलना शुरू कर दिया था। कश्मीर पर अनेक बार हमले किये और हर
बार मुंह की खायी। कारगिल का युद्ध भी उनमें एक है जिसमें भारत ने पाक को धूल चटाई थी। 26 जुलाई
2022 को कारगिल जंग को 23 साल पूरे हो जाएंगे। भारत में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस
मनाया जाता है। 26 जुलाई 1999 को कश्मीर के कारगिल में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में
भारत को विजय मिली थी। तब से हार साल इस जीत को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह दिवस करगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय वीरों के सम्मान में मनाया जाता है। कारगिल युद्ध
भारतीय सेना के अदम्य साहस और पराक्रम के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक है। उस दौरान प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी ने दुश्मन का मुकाबला करने के लिए सेना को पूरी छूट दे दी थी। इस दिन देश 1999
के कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों द्वारा दर्शाए गए चरम शौर्य, बलिदान और अनुकरणीय
साहस को याद करता है।कारगिल युद्ध भारतीय सेना के अदम्य साहस और पराक्रम के सबसे बड़े
उदाहरणों में से एक है। 1999 में करगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था,
जिसके बाद भारतीय सेना ने उनके खिलाफ ऑपरेशन विजय चलाया। ऑपरेशन विजय 8 मई से शुरू होकर
26 जुलाई तक चला था। भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्ध 60 दिन तक चला था। भारत ने इस
युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा कर विजय हासिल की थी। तभी से हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस के
रूप में मनाया जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 जवान शहीद
हुए तो करीब 1363 घायल हुए थे। बलिदानों के बाद भारतीय सेना ने कारगिल में तिरंगा फहराया था । इस
लड़ाई में पाकिस्तान के करीब तीन हजार जवान मारे गए थे। परमाणु बम बनाने के बाद भारत और
पाकिस्तान के बीच हुआ यह पहला सशस्त्र संघर्ष था।
1998-99 में सर्दियों के दौरान पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से सियाचिन ग्लेशियर की फतह के इरादे से
अपनी फौजें भेजनी शुरू कर दी। जब भारत द्वारा इसके बारे में पूछा गया तो पाकिस्तान ने कहा की यह
उनकी फौज नहीं बल्कि मुजाहिद्दीन हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाकर कश्मीर के
मुद्दे को सुलझाना चाहता था। सेना को जब इस बात का पता चला तो सेना ने उन्हें खदेड़ने के लिए
ऑपरेशन विजय चलाया।

भारतीय सेना और वायुसेना ने संयुक्त अभियान चलाते हुए इस युद्ध में अद्धभुत वीरता का परिचय देते
हुए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीत हासिल की थी। युद्ध के दौरान जहां पाकिस्तानी घुसपैठिये
पहाड़ों की ऊंचाई पर बैठे गोलीबारी कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवान निचले इलाकों से
उनका सामना कर रहे थे। इसके बावजूद घुसपैठिये भारतीय सेना का सामना नहीं कर सके थे, और भागने
पर मजबूर हो गए थे। भारतीय वायुसेना ने घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए मिग-27 और मिग-29 का
इस्तेमाल किया था। वहीं सेना ने बोफोर्स तोपों का इस्तेमाल किया था। जो इस युद्ध में जबरदस्त मारक
साबित हुई थीं।
पाकिस्तानी सेना इस घुसपैठ के जरिए ना केवल कारगिल पर कब्जा करना चाहती थी, बल्कि लेह और
सियाचिन ग्लेशियर तक भारतीय सेना की सप्लाई लाइन को भी काटना चाहती थी। ताकि वहां पर भी
कब्जा किया जा सके। हालांकि भारतीय सेना ने उसके नापाक मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया।
करगिल युद्ध की जीत का ऐलान तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी ने 14 जुलाई को कर दिया
था किन्तु आधिकारिक तौर पर 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस का ऐलान किया गया।

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