bjp-congress list

-चुनावी मुद्दे नगण्य, ‘अहंकार ‘और ‘प्रतिष्ठा’ का ताज करेगा आतिशबाजी 

– नानालाल आचार्य

उदयपुर ! मेवाड में लोकसभा से लेकर ग्राम पंचायत स्तर के जब -जब भी चुनाव हुए हैं ! तब -तब भाजपा -कांग्रेस खेमो में हमेशा अहंकार और प्रतिष्ठा सिर चढ़कर हावी रही है ! चुनाव के मूल मुद्दों को लेकर कोई भी प्रत्याशी मैदान में दहाड़ता नहीं दिखाई और सुनाई पड़ रहा ! सबसे हॉट मानी जा रही वल्लभनगर सीट पर जो भी अहंकार की जीत का ताज पहनेगा वहीं दीवाली के दिन अपनी प्रतिष्ठा में अहंकारी आतिशबाजी का भी प्रदर्शन करेगा ! भाजपा के दिग्गज गुलाबचंद कटारिया किसी भी क़ीमत पर जनता सेना के रणधीर सिंह भींडर को इस क्षेत्र पर कब्जा नहीं देना चाहते ! वहीं रणधीर भी हर क़ीमत पर भाजपा -कांग्रेस की जमानत तक छिन लेने को उतारू हैं ! कांग्रेस के दिवंगत गजेंद्र सिंह की पत्नी प्रीति शक्तावत अपनी शोकसंतप्त संवेदनाओं के बलबूते वोटरों को रिझाने में जुटी है ! बंटी बन्ना के चाहने वाले वोटर अवश्य ही प्रीति की जोली में संवेदना के वोट डाल दें, जैसा कि राजसमंद में दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी को संवेदनाओं ने जोली भर दी और विरासत बरकरार रह गई ! बीजेपी के अधिकृत उम्मीदवार हिम्मतसिंह झाला के लिए मैदान मारने का पहला अवसर है ! पार्टी ने राजपूत वोटरों में एका स्थापित करने और वरिष्ठ नेता के बिगड़े ‘ ‘बोल ‘ की वजह से बीजेपी को हो रहे संभावित नुकसान की भरपाई के लिये यह द्रुतगामी फार्मूला निकाला है, शायद ये क्षेत्र में पार्टी को जादुई जीत दिला दे ! ऊर्जावान और धनबल से लबरेज उदयलाल डांगी बीजेपी के लिए सर्वसंभावित केंडिडेट बताए जा रहे थे ! लेकिन क्षत्रिय समाज में प्रतिष्ठा के सवाल पर उनकी उम्मीदवारी पार्टी ने नकार दी ! डांगी टिकट से पूर्व ही घोषणा भी कर चुके थे कि पार्टी उनकी पूर्व की सेवाएं व अनुभव के आधार पर टिकट देगी, लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें तवज्जो नहीं दी और हिम्मत सिंह झाला को दांव पर लगा दिया ! उदयलाल अब आरएलपी के दम पर खुद को मैदान में झोंक दिए हुए हैं, तो इससे भाजपा की गणित पर पलीता लगना लगभग साफ दिखाई पड़ रहा है ! ऐसा इसलिए भी कि यहाँ जब भी लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र या फिर नगर निगम, नगर परिषद व पालिका पंचायत चुनाव में मुखिया सामान्य वर्ग के लिए रिजर्व रहा है तब अहंकार व प्रतिष्ठा चरम पर दिखाई देती रही है ! चुनाव में फिलहाल नामांकन प्रक्रिया और उसमे हुए प्रत्यशियों के शक्ति प्रदर्शनों में कहीं पर भी क्षेत्र के विकास और भावी मुद्दों पर कोई खुलकर बोल नहीं रहा ! मुद्दे नगण्य हैं !
– बंटा -बंटा सा है राजपूत, विप्र व डांगी बाहुल्य वोटर्स

वल्लभनगर हॉट सीट से जीत दर्ज कर राजस्थान विधानसभा में सबसे अलग राजनीतिक पहचान बनाने की यहाँ हर पार्टी उम्मीदवार में होड़ सी मची हुई है ! लेकिन चुनावी नैय्या पार कराने वाला क्षेत्र का वोटर्स यहाँ बंटा -बंटा सा दिखाई देता है ! भाजपा -कांग्रेस के वोटर्स अपने उम्मीदवारों को लेकर पशोपेश में हैं ! पार्टी का वफादार मतदाता अहंकार और प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में खुद को बेचारा, लाचार और जानबूझकर ठग का शिकार हो जाने को आशंकित है ! कारण कि यहाँ तीन उम्मीदवार क्षत्रिय समाज से तो एक डांगी समाज से चुनाव मैदान में है ! जबकि क्षेत्र में राजपूत, विप्र और डांगी समाज की बहुतायत है ! वल्लभनगर कस्बे के अलावा भींडर, कनोड और डबोक भी एक विकसित व विकासशील इलाके हैं ! इन बहुत बडे हिस्सों में इन तीन प्रमुख जातियों का रहवास भरपूर है ! इन्ही जाति समाजों के वोटर्स को अपना विधायक तय करना है ! एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग का वोटर्स भी यहाँ अहम भूमिका में रहा है ! लेकिन इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय -चतुष्कोणीय होने के कारण मतदाता भीषण कयासों के घेरे है ! भाजपा से टिकट के प्रमुख दावेदारों में से एक उदयलाल डांगी टिकट नहीं मिलने से बगावत पर उतर आए ! वे आरएलपी का दामन थामकर क्षेत्र में एक नए क्षेत्रीय दल के खेवनहार बनने को बेताब हैं ! अतः बीजेपी, कांग्रेस, जनता सेना और आरएलपी जैसे राजनैतिक दलों में विधायकी की यह जंग निहायती रोचक और घमासान होगी ! बंटा -बंटा सा वोटर्स भी अपने कीमती मत को लेकर असमंजस की स्थिति में मतपेटी में उड़ेलने को मजबूर दिखता है !

– जीत का ताज ही यहाँ है मुख्य एजेंडा

जिले की वल्लभनगर विधानसभा से जो भी प्रत्याशी मैदान में हैं, उनकी ओर से अब तक जनता के सामने कोई अधिकृत चुनावी घोषणा पत्र जारी नहीं किया गया है ! बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसी मूल सुविधाओं को छोड़कर शायद ही कोई भावी विधायक किसी बड़े लक्ष्य को लेकर अपने मतदाताओं के बीच जाकर वोट की अपील कर रहा है ! अमूमन सभी नेताओं में जातिवाद, परिवारवाद और एकदूसरे को निबटाने की प्रतिस्पर्धा साफ नजर आ रही है ! कटारिया और रणधीर सिंह भींडर तो इस क्षेत्र में कुरुक्षेत्र की जंग की तरह आमने -सामने हैं ! शक्तावत परिवार अपनी विरासत और दिवंगत गुलाब सिंह शक्तावत व उनके पुत्र गजेंद्र सिंह शक्तावत के भरोसे चुनाव में जीत को पक्की मान रहा है ! इन पर परिवारवाद का दंश पहले से हावी है ! इसमें भी आपसी फुट बरकरार है ! बीजेपी से पूर्व में करीब 46 हजार वोट लेकर भी बाजी हार गए उदयलाल डांगी के पास भी इस उपचुनाव में धनबल के अलावा कोई स्थायी चुनावी एजेंडा नहीं है ! हालांकि अभी नाम वापसी के लिये सभी धड़ों में समझाइश की जोरआजमाइशें जारी हैं ! लेकिन पार्टी उम्मीदवार के समर्थन में नाम वापसी की उम्मीद यहाँ कम ही नजर आ रही है ! ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय होने की संभावना ज़्यादा बनी हुई है ! हो सकता है, इसके बाद हर उम्मीदवार अपना अलग से चुनावी एजेंडा लेकर जाए और जनता से अपने पक्ष में वोट की अपील करें ! परन्तु हॉट स्पॉट सीट के लिए हर किसी के लिए परिणाम आने तक मुख्य एजेंडा येनकेन प्रकारेण जीत का ताज ही असल एजेंडा रहेगा !

– लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

LEAVE A REPLY