Mewani

नयी दिल्ली :  गुजरात में दलित आंदोलन का चेहरा बने जिग्नेश मेवाणी ने यहां एक रैली के साथ राष्ट्रीय राजनीति के मंच पर पदार्पण किया और इस दौरान मोदी सरकार को लोकतंत्र एवं संविधान के लिए ‘‘खतरा’’ बताया।उन्होंने उत्तर प्रदेश के दलित कार्यकर्ता चंद्रशेखर आजाद की रिहाई की मांग को लेकर ‘‘युवा हुंकार’’ रैली को आधिकारिक रूप से मंजूरी नहीं देने के लिए दिल्ली पुलिस पर हमला करते हुए मंच का इस्तेमाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए किया।

मेवाणी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इस देश के 125 करोड़ लोग देख रहे हैं कि किसी को केवल इसीलिए नहीं बोलने दिया जा रहा क्योंकि वह चंद्रशेखर आजाद की रिहाई की मांग कर रहा है, संविधान के प्रभावी क्रियान्वयन और युवाओं के लिए दो करोड़ रोजगार की मांग कर रहा है।’’ रैली में दिल्ली, लखनऊ और इलाहाबाद समेत अन्य स्थानों से आए छात्र कायकर्ता भी शामिल थे। मेवाणी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘जब निर्वाचित प्रतिनिधि को ऐसा करने का अधिकार नहीं है तो फिर यह गुजरात मॉडल है।’’ वडगाम के विधायक उना में गौ रक्षा के नाम पर दलितों पर हुए हमले के बाद गुजरात में भाजपा के खिलाफ अभियान शुरू कर चर्चा में आए थे और इस अभियान में उनके साथ हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर शामिल थे। इस तिकड़ी ने मोदी के गृह राज्य में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की काफी मदद की।

रैली राजधानी के संसद मार्ग पर हुई जहां सालभर निषेधाज्ञा लागू रहती है। इसका आह्वान मुख्य रूप से दलित संगठन भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद को रिहा करने की मांग को लेकर किया गया था।30 साल के आजाद को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में पिछले साल हुए ठाकुर-दलित संघर्ष को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। हालांकि अधिकतर कुर्सियों के खाली रहने के साथ रैली में सीमित भीड़ थी, संसद मार्ग पुलिस स्टेशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर बनाए गए मंच पर कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद समेत जेएनयू के पूर्व और वर्तमान छात्र नेता मौजूद थे।

इसमें असम के किसान नेता अखिल गोगोई और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण भी मौजूद थे।जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के छात्र भी रैली में शामिल हुए।सभा को संबोधित करने वाले लोगों ने शिक्षा का अधिकार, रोजगार, आजीविका तथा लैंगिक न्याय जैसे मुद्दों पर जोर दिया।एक आयोजक ने दावा किया कि पुलिस और मीडिया ने रैली को लेकर ‘‘भ्रम पैदा’’ किया जिसके कारण रैली में बहुत ज्यादा भीड़ नहीं उमड़ी।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि ‘‘रैली के लिए कोई औपरचारिक मंजूरी नहीं दी गयी लेकिन शांति बनाए रखने के लिए आयोजन को हरी झंडी दी गयी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रैली के लिए औपचारिक मंजूरी नहीं दी गयी लेकिन शांति और कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इसके आयोजक को स्वीकृति दी गयी। हम कानून व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहते थे इसलिए भारी पुलिस तैनाती के बीच यह आयोजन हुआ।’’ मेवाणी ने गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयानों की तर्ज पर कहा कि वह नफरत की राजनीति के खिलाफ खड़े रहेंगे और संविधान के मूल्यों तथा ‘‘प्रेम की राजनीति ’’ के साथ रहेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं एकजुटता की राजनीति में विश्वास करता हूं। मैं प्रेम की राजनीति में विश्वास करता हूं, ना कि लव जिहाद की राजनीति में। अल्पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल और मुझे निशाना बनाया गया क्योंकि हमने गुजरात में उनके घमंड और आक्रामकता को चूर-चूर कर दिया। आज हमारे लोकतंत्र और संविधान पर खतरा मंडरा रहा है।’’ मेवाणी ने मोदी पर हमला किया और आजाद की गिरफ्तारी एवं हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की मौत जैसे मुद्दे उठाए।उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को कोरेगांव, चंद्रशेखर आजाद को जेल में बंद रखने, रोहित वेमुला की हत्या सहित इन सभी मुद्दों पर जवाब देना होगा।’’ मेवाणी ने कहा, ‘‘मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आप क्या चुनेंगे – मनुस्मृति या संविधान।’’ भाजपा ने आरोपों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और पार्टी नेता एवं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश में ‘‘नफरत फैलाने’’ का काम कांग्रेस ने किया है।

उन्होंने राहुल गांधी पर हमले के लिए मेवाणी के साथ कांग्रेस के संबंधों का जिक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह देश देख रहा है कि कौन इसे तोड़ने की कोशिश कर रहा है। देश में सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस ने हिंसा फैलायी है।’’ प्रसाद ने कहा कि मेवानी ने उमर खालिद से हाथ मिला लिया है और राहुल ने मेवाणी और उनके सहयोगियों को मजबूत किया है।उमर खालिद पर जेएनयू में भारत विरोधी नारे लगाने का आरोपी है।

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