चौमूँ. फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आज मंगलवार को होने से महाशिवरात्रि का पर्व आज मंगलवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व देवों के देव महादेव और माता पार्वती के विवाह की वर्षगांठ के रूप में भी मनाया जाता है।ज्योतिषाचार्य डॉ. योगेश शर्मा ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन ही भोलेनाथ ने वैराग्य  जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए भी है कि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में भी जाना जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व पंचग्रही योग में मनाया जाएगा।मकर राशि में चंद्रमा ,मंगल, बुध, शुक्र और शनि एक साथ रहेंगे। इसके अलावा महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग भी बन रहे हैं।इन शुभ संयोगों में और शुभ मुहूर्त में जो जातक विधि-विधान से भोलेनाथ की आराधना करेंगे उनकी हर इच्छा पूरी होगी।भगवान शिव की पूजा के दौरान धनिष्ठा नक्षत्र के साथ परिघ योग बनेगा इसके बाद शतभिषा नक्षत्र और शिव योग का भी संयोग बनेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार परिघ योग में पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है तो वही शिवयोग में कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।डॉ.शर्मा ने बताया कि फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान भोलेनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा में दूध, दही, शहद,घी,बेलपत्र, बेर,गाजर, भांग, धतूरा ,गन्ने का रस, सफेद आक के फूल, हरसिंगार के फूल ,नागकेसर और केसर की खीर का भोग भी लगाना चाहिए। महाशिवरात्रि पर चार प्रहर पूजन का समय – प्रथम प्रहर- सांय 6.23 से रात्रि 9.31 बजे तक द्वितीय प्रहर-रात्रि 9.32  से 12.39 बजे तक , तृतीय प्रहर – मध्यरात्रि बाद 12.40 से  3.47  बजे तक , चतुर्थ प्रहर – मध्यरात्रि बाद 3.48 से अगले दिन प्रातः 6.54 बजे तक रहेगा।

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