जयपुर। राजस्थान के किसानों को भाजपा सरकार ने राहत दी है। सरकार ने बढ़ाई बिजली दरों को ना केवल वापस ले लिया है, बल्कि कई ओर भी रियायतें दी गई है। बिजली दरें बढ़ाने, बिलों में लोड भार जोडऩे के चलते प्रदेश के किसानों के कृषि और घरेलू बिजली कनेक्शनों के बिल दो से तीन गुणा तक बढ़े हुए आने लगे। पहले से ही ओलावृष्टि और नोटबंदी की मार झेल रहे किसानों पर बढ़े हुए बिजली बिलों ने कहर बरपा दिया था। ऐसा कोई गांव, ढाणी और तहसील नहीं थी, जहां के किसानों में बिजली टैरिफ, बिजली बिलों और बिजली कंपनियों की मनमानी के खिलाफ गुस्सा था। एक-दो महीने से पूरे प्रदेश भर में बिजली कंपनियों के साथ भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त धरने प्रदर्शन हो रहे थे। भाजपा जनप्रतिनिधियों विधायक और सांसदों को भी ग्रामीण जनता खरी-खोटी सुनाने से नहीं चूक रही थी। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को बड़़ा मुद्दा मिल गया था। कई जिलों व तहसीलों में किसानों के बड़े-बड़े धरने प्रदर्शन होने लगे तो सरकार के साथ भाजपा जनप्रतिनिधियों की नींद टूटी। किसानों ने भी बढ़े बिजली बिलों का बहिष्कार करते हुए इन्हें जमा नहीं कराया। यहीं नहीं कई जगह पर बिजली कर्मचारियों के साथ मारापीटी भी की गई। प्रदेश के बढ़ते किसानों को देखते हुए मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मिलकर किसानों की पीडा और बढ़ते गुस्से के बारे में बताया। किसानों ने विधानसभा सत्र के दौरान 2 मार्च को विधानसभा घेराव का ऐलान कर रखा था। आईबी राजस्थान ने भी किसानों के इस मुद्दे को लेकर रिपोर्ट दी थी, जिसमें बताया कि बढ़े हुए बिजली टैरिफ और कंपनियों की मनमानी से किसानों में खासा गुस्सा है। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए तो प्रदेश में बड़ा आंदोलन हो सकता है और सरकार की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। इन सभी को देखते हुए आज शनिवार को बिजली की बढ़ी दरों को वापस लेने का ऐलान किया है।
– फीडबैक के बाद बढ़ी दर वापस ली
भाजपा सरकार ने कृषि विद्युत कनेक्शन और अनमीर्टड विद्युत कनैक्शनों पर बढाई दरों को तत्काल वापस लेने की घोषणा की है। ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने मीडिया को बताया कि जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रदेश भर से मिले फीडबैक के बाद सरकार ने टैरिफ दरें वापस ली है। इससे पांच सौ करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। बूंद-बूंद, फव्वारा, डिग्गी सिंचाई पद्धति आधारित कृषि कनेक्शनों की विद्युत दरें तीन साल बाद सामान्य श्रेणी में परिवर्तित कर दी जाएगी। इससे करीब 45 हजार किसानों को फायदा होगा। जो किसान सितम्बर से बढ़े बिजली बिल जमा करा रहे हैं, उन्हें बढ़ी राशि अगले बिलों में समायोजित कर दी जाएगी। किसानों के हित में यह फैसला लेना बताया है सरकार ने। सरकार ने सिविल लाइबिटीज की अधिकतम राशि चार माह से घटाकर दो माह की है। समझौता राशि दो हजार प्रति हार्स पावर घटाकर एक हजार कर दी है। वीसीआर संबंधी शिकायतों के समाधान के लिए जिला स्तर पर वीसीआर मॉनिटरिंग समितियां गठित की जाएगी। जिनके मीटर सही चल रहे हैं, उन किसानों के लोड की जांच नहीं की जाएगी। अगले महीने से विद्युत कपंनियां पंचायत व उपखंड स्तर पर विद्युत संबंधी शिकायतों के निराकरणों के लिए शिविर लगाए जाएंगे।

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